बोले आगरा: यमुना के गंदे पानी ने छीनी तरबूज-खरबूज की मिठास
Agra News - फतेहाबाद क्षेत्र में यमुना के खादर में तरबूज और खरबूज की खेती एक समय बहुत प्रसिद्ध थी, लेकिन अब प्रदूषण के कारण इनकी मिठास कम हो रही है। किसान बताते हैं कि केमिकल युक्त पानी के चलते फसल का उत्पादन घट...

कभी फतेहाबाद क्षेत्र में यमुना के खादर का इलाका तरबूज और खरबूज की खेती के लिए खास पहचान रखता था लेकिन अब इस पर ग्रहण लगता जा रहा है। यहां के तरबूजे-खरबूजे की मिठास कम हो रही है। यहां तरबूज-खरबूज की खेती करने वाले किसान अपनी समस्याओं को बताते हैं। आपके अखबार हिन्दुस्तान के बोले आगरा अभियान में तरबूज-खरबूज किसानों ने बताया कि मैली होती यमुना का असर खेती पर पड़ रहा है। यमुना के केमिकल युक्त पानी के चलते इस फल की अब खादर में पहले जैसी पैदावार नहीं होती है। किसानों ने बताया कि उनको सरकार की ओर से मदद नहीं मिलती है।
फतेहाबाद ब्लाक क्षेत्र में कभी तरबूज व खरबूज की खेती काफी प्रचलित थी। लेकिन अब यह सिमटती जा रही है। यमुना के खादरों के गांव नरि, मझटीला, नेतपुरा, वाजिदपुर, बरीपुरा ,ईधौन, पारौली, भोलपुरा बमरौली, बेहड़, धारापुरा, शाहिदपुर, रिहावली, सिलावली गांवों के किसान तरबूज-खरबूज की खेती कर रहे हैं। कभी फतेहाबाद के नाम से तरबूज-खरबूज हाथों हाथ बिक जाते थे। यहां आगरा के अलावा आस पास के जिलों से लोग तरबूज खरबूज खरीदने आते थे । वहीं किसान इन्हें दूर दराज के शहरों में भी ट्रकों में भर कर बेचने जाते रहते थे। वहां अच्छा खासा मुनाफा उन्हें मिलता था। गुरुवार को बोले आगरा संवाद में कहा गया कि फतेहाबाद के तरबूज-खरबूज अब मिठास खोते जा रहे हैं। इसका कारण यमुना का प्रदूषण है। इसके कारण देशी तरबूज-खरबूज तो अब किसानों ने उगाना ही बंद कर दिया है। यमुना प्रदूषण के केमिकल युक्त पानी के चलते इस फल की अब खादर में पैदावार नहीं होती। यमुना के प्रदूषण ने खत्म की ये खेती:एक समय था कि यमुना जल निर्मल था। यमुना के जल की तली की रेत साफ दिखती थी। पिछले कई वर्षों से यमुना प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है। न सिर्फ दिल्ली की ओर से लगातार केमिकल युक्त पानी यमुना में गिर रहा है, बल्कि आगरा के भी तमाम नाले यमुना में सीधे गिर रहे हैं। प्रदूषित जल ने फतेहाबाद में होने वाली देशी तरबूज-खरबूज की खेती का काफी नुकसान किया है। किसानों ने बताया कि अब यमुना के पानी में केमिकल होने के कारण तरबूज की पौध उगने के साथ ही खत्म हो जाती है। लू के साथ बढ़ती है मिठास तरबूज-खरबूज की विशेषता यह है कि जितनी अधिक लू और गर्म हवा चलेगी, यह फल उतना ही मीठा हो जाता है। यमुना के बालू वाले इलाके में लू और गर्म हवा इसलिए ज्यादा लगती थी, क्योंकि रेत जल्दी गर्म होता है और जल्दी ही ठंडा हो जाता है। यमुना की खादर में उगने वाले इन फलों की मिठास हरेक आदमी को अपनी ओर आकर्षित करती थी। अब किसान जल्दी तैयार होने वाले वैरायटी और हाईब्रिड तरबूज-खरबूज का उत्पादन कर रहे हैं, या फिर खादर में सब्जियां उगा रहे हैं।
शासन-प्रशासन करे मदद
एक समय वो था कि बाहर के व्यापारी फतेहाबाद से तरबूज-खरबूज खरीदने आते थे, पर अब हालात यह है कि यहां के व्यापारी गंगा तट से तरबूज तो पंजाब आदि स्थानों से खरबूज लाकर बेच रहे हैं। तरबूज का रंग तो लाल होता है, लेकिन वो मिठास नहीं जो कभी फतेहाबाद के तरबूज-खरबूजों में होती थी। बर्बाद होती इस फसल को बचाने के लिए शासन और प्रशासन को मदद करनी चाहिए।
काफी लाभकारी है खरबूजा खरबूजा
गर्मियों के मौसम में बहुत अधिक मिलता हैं। कच्चे खरबूजे का रंग हरा होता हैं लेकिन पक जाने पर हल्के पीले-भूरे रंग का हो जाता हैं। खरबूज गर्मियों में काफी पसंद किया जाता है, इसमें पर्याप्त मात्रा में पानी होता है। इसके अलावा इसका बीज भी सुखाकर खाया जाता है। खरबूजे में शर्करा के अलावा प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, लोहा, कैलोरी और विटामिन ए, बी भी भरपूर मात्रा में होते हैं। सरकार को चाहिए कि कुछ ऐसा हो जिससे यमुना नदी में प्रदूषण कम हो, ताकि देशी तरबूज-खरबूज फिर खाने को मिल सकें। यमुना प्रदूषण ने देशी तरबूज-खरबूज की खेती ही बंद कर दी।
बतायी पीड़ा
1. एक जमाना था कि फतेहाबाद के देशी तरबूज-खरबूज खरीदने के लिए यहां ग्राहकों की भीड़ रहती थी। अब वे दिन गुजरे जमाने की बात हो गयी है। यमुना का प्रदूषण तरबूज-खरबूज की मिठास को खत्म कर गया है। -पुजारी
2. फतेहाबाद में यमुना किनारे खादर में पैदा होने वाले तरबूज और खरबूज में गजब की मिठास होती थी। वो मिठास पंजाब, राजस्थान आदि स्थानों से आने वाले तरबूज-खरबूज के फल में नहीं है। इस ओर ध्यान देना चाहिए। -जितेंद्र
3. यमुना में प्रदुषण के चलते तरबूज-खरबूज के साथ कई अन्य फसलों पर भी विपरीत असर पड़ा है और कई फसल अब खादर में होना बंद हो चुकी हैं। यमुना प्रदूषण ने किसानों का बहुत नुकसान किया है। -मुन्नालाल
4. दिल्ली से आ रहे केमिकल युक्त पानी ने देशी तरबूज-खरबूज की खेती ही खत्म कर दी है। यदि यमुना प्रदूषण मुक्त हो तो दोबारा इनके उगाने की स्थिति बने और फतेहाबाद के तरबूज-खरबूज के बाजार में फिर से रौनक हो। -अजब सिंह
5. देशी तरबूज-खरबूज के साथ लोग इनके बीज बेच कर भी अच्छा मुनाफा कमा लेते थे। अब देशी तरबूज खरबूज ही नहीं तो इसके बीज ही कहां मिलेंगें। यमुना प्रदूषण दूर हो तो फतेहाबाद के तरबूज-खरबूज के किसान तरक्की करें। -वीरेंद्र
6. पहले खूब देशी तरबूज-खरबूज बेचे हैं पर अब हाई ब्रिड तरबूज खरबूज को हरेक ग्राहक पसंद नहीं करता। इसी की वजह है कि इनकी बिक्री दिनों दिन गिरती जा रही है। पहले यमुना में खूब पैदावार होती थी, लेकिन यमुना में प्रदूषित हो गई है। -भारत सिंह
7. फतेहाबाद के नामी तरबूज-खरबूज खूब खाये हैं, पर अब दूर-दूर तक देशी तरबूज-खरबूज नहीं दिखते हैं। अब तो हाई ब्रिड तरबूज-खरबूज बाजार में बिक रहे हैं। जो दिखावटी हैं। बस नाम के ही तरबूज-खरबूज हैं स्वाद नहीं है। -खुशीराम
8. हमने तो घर के बुजुर्गों से सुना है कि देशी तरबूज का साइज 20 से 30 किलो तक का हुआ करता था, पर यमुना के प्रदूषण के चलते सब खत्म हो गया। अब तो यह बात किस्से में ही रह गई है। इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। -मुन्नालाल
9. काफी समय से सब्जियों का व्यापार कर रहा हूं पर अब किसी मंडी में देशी तरबूज-खरबूज नहीं दिखते। अब तो वैरायटी का जमाना है। जिसमें वो बात नहीं, जो देशी तरबूज-खरबूज में है। उनमें स्वाद भी अलग होता था। -अंकित
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