Hindi NewsNcr NewsDelhi NewsControversial Remarks by Justice Shekhar Kumar Yadav Supreme Court Collegium Inquiry

कॉलेजियम के समक्ष पेश हुए जस्टिस शेखर यादव, अपने बयानों पर दी सफाई

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जज जस्टिस शेखर कुमार यादव ने विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में विवादित बयान दिया। सुप्रीम कोर्ट ने उनके बयानों पर संज्ञान लेते हुए कॉलेजियम में पेश होने के लिए कहा। जस्टिस...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 17 Dec 2024 10:40 PM
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नई दिल्ली। विशेष संवाददाता विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में कथित तौर पर विवादित बयान देने वाले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जज जस्टिस शेखर कुमार यादव मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम के समक्ष पेश हुए। सूत्रों के मुताबिक जस्टिस यादव देश के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अगुवाई वाली कॉलेजियम के समक्ष पेश हुए और अपने बयानों के बारे में सफाई दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने 10 दिसंबर को जस्टिस यादव के बयानों को लेकर मीडिया खबरों पर संज्ञान लिया था और इलाहाबाद उच्च न्यायालय से इस बारे में विस्तृत जानकारी मांगा था। इस बारे में शीर्ष अदालत प्रशासन ने बयान जारी करते हुए कहा था कि ‘जस्टिस यादव के बयान को लेकर संज्ञान लिया गया और इलाहाबाद उच्च न्यायालय जानकारी मांगी गई है। साथ ही कहा गया था कि अब यह मामला उसके (सुप्रीम कोर्ट) के समक्ष विचाराधीन है। स्थापित मानदंड के मुताबिक जिस न्यायाधीश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम द्वारा किसी विवादास्पद मुद्दे पर संबंधित उच्च न्यायालय से रिपोर्ट मांगी जाती है, उसे भारत के मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाले कॉलेजियम के समक्ष अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाता है। इस मामले में उच्च न्यायालय से रिपोर्ट मिलने के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यादव को कॉलेजियम के समक्ष पेश होने को कहा था। सूत्रों के मुताबिक इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जज जस्टिस शेखर यादव मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश खन्ना की अगुवाई वाली कॉलेजियम के समक्ष पेश हुए और अपने बयानों के बारे में पक्ष रखा। सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम में मुख्य न्यायाधीश सहित 5 वरिष्ठ न्यायाधीश होते हैं।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मौजूदा जज जस्टिस शेखर यादव ने 8 दिसंबर को विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के कार्यक्रम में कहा कि समान नागरिक संहिता का मुख्य उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, लैंगिक समानता और धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देना है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वीएचपी के विधिक प्रकोष्ठ और उच्च न्यायालय इकाई के प्रांतीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मुख्य उद्देश्य विभिन्न धर्मों और समुदायों पर आधारित असमान कानून प्रणालियों को समाप्त कर सामाजिक सद्भाव, लैंगिक समानता और धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देना है। उन पर एक समुदाय विशेष के लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करने का आरोप है। इसके अलावा, जस्टिस यादव पर यह कहने का भी आरोप है कि देश बहुसंख्यकों के हिसाब से चलेगा। इसके बाद कई संगठनों और लोगों ने देश के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को पत्र लिखकर जस्टिस यादव के बयानों पर संज्ञान लेने और आंतरिक जांच करने का आग्रह किया था। सीजेआई को लिखे पत्र में कहा गया है कि 'विहिप द्वारा जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, जस्टिस शेखर यादव ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पुस्तकालय हॉल में रविवार को विहिप के विधि प्रकोष्ठ और उच्च न्यायालय इकाई के प्रांतीय अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा 'समानता न्याय और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों पर आधारित समान नागरिक संहिता भारत में लंबे समय से एक बहस का मुद्दा रही है। उन्होंने कहा कि एक समान नागरिक संहिता, एक ऐसे सामान्य कानून को संदर्भित करती है जो व्यक्तिगत मामलों जैसे विवाह, विरासत, तलाक, गोद लेने आदि में सभी धार्मिक समुदायों पर लागू होता है। पत्र में कहा गया है कि जस्टिस यादव ने यूसीसी का समर्थन करते हुए भाषण दिया और मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाते हुए विवादास्पद टिप्पणी की। उन्होंने कहा है कि जस्टिस यादव का विहिप के कार्यक्रम में भाग लेना और उनकी टिप्पणियां संविधान की निष्पक्षता को बनाए रखने की शपथ का उल्लंघन करती हैं।

जस्टिस शेखर यादव को पद से हटाने के लिए संसद में महाभियोग चलाने का नोटिस दिया है। महाभियोग चलाने के प्रस्ताव की अगुवाई सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने की है।

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