Hindi Newsखेल न्यूज़अन्य खेलAjeet Singh Yadav Lost his hand while saving friend PhD para athlete Found a new path with the advice of a professor

दोस्त को बचाने में गंवाया हाथ, प्रोफेसर की सलाह से मिली नई राह; PhD कर चुके खिलाड़ी का गजब का हौसला

  • पैरा भाला फेंक खिलाड़ी अजीत सिंह यादव के हौसले का जवाब नहीं है। उन्होंने हाथ गंवाने के बावजूद कभी हिम्मत नहीं हारी। PhD कर चुके अजीत को प्रोफेसर की सलाह के बाद नई राह मिली।

Md.Akram भाषाSun, 19 Jan 2025 05:37 PM
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दोस्त को बचाने में गंवाया हाथ, प्रोफेसर की सलाह से मिली नई राह; PhD कर चुके खिलाड़ी का गजब का हौसला

पेरिस ओलंपिक में रजत पदक जीतने के बाद अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित होने वाले वाले पैरा भाला फेंक खिलाड़ी अजीत सिंह यादव ने कहा कि ट्रेन दुर्घटना में एक हाथ गंवाने के बावजूद उन्होंने कभी अपना हौसला कम नहीं होने दिया। अजीत ने 2017 में ट्रेन दुर्घटना में अपना बायां हाथ गंवा दिया था। उन्होंने पेरिस पैरालंपिक में 65.62 मीटर के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ रजत पदक जीता। इस स्पर्धा का स्वर्ण पदक क्यूबा के गुइलेर्मो वरोना ने 66.14 मीटर के प्रयास के साथ जीता था।

लॉस एंजिल्स में पूरी करेंगे ये कसर

अजीत ने ‘भाषा’ को दिए साक्षात्कार में अर्जुन पुरस्कार को हौसला बढ़ाने वाला करार देते हुए कहा कि यह उन्हें श्रेष्ठता हासिल करने के लिए और अधिक प्रेरित करेगा। उत्तर प्रदेश के इटावा के 31 साल के इस खिलाड़ी ने कहा, ‘‘इस पुरस्कार ने मुझे और बेहतर करने के लिए प्रेरित किया है। मैंने पेरिस पैरालंपिक में स्वर्ण पदक के लक्ष्य के साथ गया था लेकिन लगभग आधा मीटर से मैं शीर्ष स्थान हासिल करने से चूक गया। इस कसर को मैं लॉस एंजिल्स 2028 में पूरा करना चाहूंगा।’’ अजीत 2017 में एक दोस्त को बचाने की कोशिश में ट्रेन दुर्घटना का शिकार होकर अपना एक हाथ गंवा बैठे।

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'दोस्त को बचाने में गंवा दिया हाथ'

उन्होंने कहा, ‘‘अपने दोस्त को बचाने की कोशिश में मेरा एक हाथ ट्रेन की पटरी पर आ गया और उसके ऊपर से जब ट्रेन गुजरी तो मुझे लगा की मेरा जीवन ही समाप्त हो गया। यह भयावह मंजर अब भी मेरे सपने में आता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अस्पताल में इलाज के बाद जब घर आया तो मुझे लगा कि जब इस चुनौती का सामना करने में सफल रहा तो फिर हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। हाथ ही तो गंवाया है, हौसला तो पूरी तरह से बरकरार है।’’ खेलों से जुड़ने के बारे में पूछे जाने पर विश्व पैरा चैंपियनशिप के इस स्वर्ण पदक विजेता (पेरिस 2023) ने कहा कि वह खेलों से पहले से जुड़े रहे हैं लेकिन दुर्घटना से पहले वह शिक्षक बनना चाहते थे।

प्रोफेसर की सलाह से मिली नई राह

उन्होंने कहा, ‘‘मैं पहले से खेलों से जुड़ा रहा हूं। मैंने शारीरिक शिक्षा में स्नातक और स्नातकोत्तर करने के बाद राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (एनईटी) पास कर पी.एचडी (डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी) किया है। मेरे कॉलेज के एक प्रोफेसर पैरालंपिक से जुड़े थे और उनकी सलाह पर ही मैंने भाला फेंक में हाथ आजमाना शुरू किया।’’ टोक्यो ओलंपिक (2021) में मामूली अंतर से पदक से चूकने वाले इस खिलाड़ी ने कहा, ‘‘ मुझे शिक्षक बनना था लेकिन शायद किस्मत को कुछ और मंजूर था।’’ उन्होंने कहा कि मौत से जंग जीतने के बाद उनकी सफलता ने यह साबित किया कि हिम्मत और हौसला रख कर किसी भी चुनौती से निपटा जा सकता है।

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'इसका पूरा श्रेय नीरज को जाता है'

अजीत ने कहा, ‘‘मेरी सफलता उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो किसी कारण से अवसाद में चले जाते हैं। अगर मैं इस भयावह मंजर से निकलने में सफल रहा तो कोई भी कुछ भी कर सकता है।’’ उन्होंने देश में भाला फेंक में बढ़ती लोकप्रियता का श्रेय नीरज चोपड़ा को देते हुए कहा, ‘‘पैरालंपिक भाला फेंक में देवेंद्र झाझरिया और सुमित अंतिल ने देश का नाम रौशन किया लेकिन इस खेल की लोकप्रियता को बढ़ाने का पूरा श्रेय नीरज चोपड़ा को जाता है। जो युवा आज से छह-साल पहले इसके बारे में कुछ नहीं जानते थे वह भी आज इसका अभ्यास कर रहे हैं।’’

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