भजनलाल शर्मा के लिए वसुंधरा राजे की उपेक्षा करना इतना आसान होगा? क्या हैं प्लान
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को सीएम बने हुए एक महीने से ज्यादा दिन हो गए है। इस दौरान सीएम को सियासी तौर पर कई झटके भी लगे है। लेकिन सीएम विरोधी गुट को संदेश देने में सफल रहे हैं।
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को सीएम बने हुए एक महीने से ज्यादा दिन हो गए है। इस दौरान सीएम को सियासी तौर पर कई झटके भी लगे है। करणपुर चुनाव बीजेपी हार गई। जबकि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे हर बड़े कार्यक्रम से दूरी बनाए हुए है। सीएम नहीं बनाए जाने से उपजी नाराजगी बरकरार है। इसके बावजूद सीएम भजनलाल शर्मा सियासी तौर पर वसुंधरा राजे के गुट को कई मैसेजे दिए है। सीएम की कार्यशैली से वसुंधरा राजे के भविष्य पर अनिश्चितता छाई हुई है।सीएम ने अफसरशाही को हावी नहीं दिया। वसुंधरा राजे गुट के नेताओं से दूरी बनाए रखी। राजे की परवाह किए अपने करीबियों को मंत्री बनाने में सफल रहे है। सियासी जानकारों का कहना है कि भजनलाल शर्मा ने साफ संदेश दिया है कि गहलोत सरकार की योजनाओं को बंद कर दिया जाएगा। कई योजनाएं बंद भी हो गई है। सियासी जानकारों का कहना है कि मतलब साफ है कि वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत को अपनी ही स्टाइल में निपटा रहे हैं। बता दें भजनलाल शर्मा सीए्म बनने से पहले सियासी विरोधियों को ऐसे ही निपटाते रहे हैं कि किसी को भनक नहीं लग पाए।
वसुंधरा राजे पार्टी के कार्यक्रमों से दूरी बनाए हुए है
सियासी जानकारों का कहना है कि वसुंधरा राजे लगातार पार्टी के कार्यक्रमों से दूरी बनाए हुए है। मंत्रिपरिषद का विस्तार हो या फिर लोकसभा चुनाव को लेकर मीटिंग। वसुंधरा राजे नदारद रहीं है। सियासी जानाकारों का कहना है कि वसुंधरा राजे नाराज है। इसलिए दूरी बनाए हुए है। इसका सीधा असर संबंधों पर प़ड़ रहा है। वसुंधरा राजे ने खुलकर नाराजगी नहीं जताई है। लेकिन माना जा रहा है कि राजे सीएम नहीं बनाए जाने से नाराज है। सियासी जानकारों का कहना है कि वसुंधरा राजे की नाराजगी लोकसभा चुनाव पर असर डाल सकती है। क्योंकि विधानसभा चुनाव के हिसाब से कांग्रेस को 11 लोसकभा सीटों पर बढ़त मिली है। ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार बार बीजेपी हैट्रिक नहीं लगा पाएगी।
राजे को लेकर क्या है प्लान
सियासी जानकारों का कहना है कि बीजेपी लोकसभा चुनाव को लेकर राजस्थान में चुनावी तैयारी कर रही है। लेकिन वसुंधरा राजे की क्या भूमिका होगी। इसको लेकर कोई रणनीति सामने नहीं आई है। बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने फ़िलहाल पत्ते नहीं खोले हैं कि आख़िर वसुंधरा राजे को लेकर क्या प्लान है। पार्टी नेताओं का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व इन दोनों नेताओं को पार्टी के भीतर या केंद्र सरकार में मौक़ा दे सकता है। पार्टी से जुड़े नेताओं का कहना है कि 2014 में बीजेपी जब सत्ता में आई तो वसुंधरा को केंद्र की राजनीति में आने के लिए कहा गया था, मगर उन्होंने इससे इनकार किया था। मोदी- शाह जब पार्टी पर अपनी पकड़ मज़बूत कर रहे थे, तब वसुंधरा राजस्थान में स्थानीय नेताओं, विधायकों और वफ़ादारों के बीच बनी रहकर राज्य में बीजेपी को संभाल रही थीं। माना यही जा रही है कि वसुंधरा राजे केंद्र की राजनीति में नहीं जाना चाहती है। यदि ऐसा होता है कि फिर राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा के लिए आने वाले दिन मुश्किल भरें हो सकते है।