राजस्थान राज्यसभा चुनाव: भजनलाल ने साधे एक तीर से कई निशाने, वसुंधरा राजे को फिर झटका?
राजस्थान विधानसभा चुनाव में टिकट से वंचित रहे वसुंधरा राजे समर्थकों को एक बार फिर झटका लगा है। राजे समर्थक अशोक परनामी, राजपाल सिंह शेखावत और प्रभुदयाल सैनी को उम्मीदवार नहीं बनाया।
राजस्थान में राज्यसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने चुन्नीलाल गरासिया और मदन राठौड़ को उम्मीदवार बनाकर ओबीसी एंव आदिवासी पर बड़ा दांव खेला है। इन दोनों उम्मीदवारों की घोषणा से साफ जाहिर है कि सीएम भजनलाल की ही चली है। वसुंधरा राजे को फिर झटका लगा है। वसुंधरा राजे समर्थकों को उम्मीद थी कि विधानसभा चुनाव में टिकट कटने के बाद पार्टी उन्हें राज्यसभा का टिकट दे सकती है। वसुंधरा राजे समर्थक पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी, पूर्व मंत्री प्रभुदयाल सैनी और राजपाल सिंह शेखावत को तगड़ झटका लगा है।उल्लेखनीय है कि राजस्थान में सत्ता परिवर्तन के बाद वसुंधरा राजे को सीएम नहीं बनाया गया। भजनलाल को सीएम बनाकार पार्टी ने तगड़ा झटका दिया था। सियासी जानकारों का कहना है कि यह झटका जारी है। हालांकि, वसुंधरा राजे पूरी तरह से चुपी साधे हुए है। लेकिन माना यही जा रहा है कि वसुंधरा राजे की अनदेखी से पार्टी को नुकसान हो सकता है। वसुंधरा राजे के कठ काठी का राजस्थान बीजेपी में कोई नेता नहीं है।
फिलहाल उन्हें कोई पद नहीं मिलेगा
माना जा रहा है कि पार्टी ने इन नेताओं को संकेत दे दिया है कि फिलहाल उन्हें कोई पद नहीं मिलेगा। सियासी जानकारों का कहना है कि वसुंधरा राजे समर्थक विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं देने पर बागी होने पर ऊतारू हो गए थे, लेकिन बाद में मान गए है। पूर्व कैबिनेट मंत्री राजपाल सिंह शेखावत को पूरी उम्मीद थी कि पार्टी उन्हें राज्यसभा से दिल्ली भेजेगी। चुनाव के समय अमित शाह ने भी राजपाल सिंह से बात की थी। लेकिन उन्हें मायूस होना पड़ा है।
वसुंधरा राजे समर्थकों की लंबी लाइन
सियासी जानकारों का कहना है कि वसुंधरा राजे समर्थकों की लंबी लाइन लगी थी। लेकिन पार्टी ने राज्यसभा का उम्मीदवार नहीं बनाया है। सीएम भजनलाल ने वसुंधरा राजे के पूरी तरह से साइड लाइन कर दिया है। राजनीतिक नियुक्तियों में भी वसुंधरा राजे के समर्थकों को जगह नहीं मिल रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि आगामी दिनों में धीरे-धीरे सीएम भजनलाल अपने समर्थकों को राजनीतिक नियुक्तियां दे सकते है। हालांकि, सियासी जानाकारों का यह भी कहना है कि सीएम भजनलाल की चल नहीं रही है। सारे फैसले दिल्ली से लिए जा रहे है। ऐसे में सीएम भजनलाल सिर्फ निर्देशों का पालन कर रहे है।