Rajasthan Politics: बीजेपी से दूर-दूर क्यों है वसुंधरा राजे सिंधिया? जानें 5 बड़ी वजह
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे कोई नया विकल्प तलाश रही हैं? राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है। अटकलों का बाजार इसलिए गर्म है कि वसुंधरा राजे लगातार दूरी बनाए हुए है।
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे कोई नया विकल्प तलाश रही हैं? राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है। अटकलों का बाजार इसलिए गर्म हुआ कि वसुंधरा राजे लोकसभा चुनाव के लिए बुलाई गई पहली बैठक से दूर रहीं। यहीं नहीं राजस्थान में 3 दिसंबर को रिजल्ट के बाद बड़े कार्यक्रमों से वसुंधरा राजे ने दूरी बना ली थी। वसुंधरा राजे कैंप के तरफ से कोई प्रतिक्रिया भी नहीं आ रही है। सियासी जानकार इसे तूफान की पहले की शांति बता रहे है। इस बार भजनलाल शर्मा कैबिनेट में वसुंधरा राजे के करीबियों को एंट्री नहीं मिली है। सियासी जानकारों का कहना है कि माना यही जा रहा है कि सीएम नहीं बनाए जाने से वसुंधरा राजे नाराज है। हालांकि, वसुंधरा राजे चुप है। हाव भाव से भी संकेत नहीं मिल रहे है कि राजस्थान की राजनीति में क्या होने जा रहा है।
सचिन पायलट की स्टाइल में चुप है
सियासी जानकारों का कहना है कि वसुंधरा राजे सचिन पायलट की स्टाइल में चुप है। पायलट भी सत्ता मिलने के बाद 2 साल तक चुप रहे। पायलट ने 2020 में ही बगावत की थी। सियासी जानकारों का कहना है कि अभी तक वसुंधरा राजे ने ऐसे कोई संकेत नहीं दिए है, जिससे यह अंदाजा लगाया जा सके कि राजस्थान में बगावत हो सकती है। लेकिन वसुंधरा राजे के करीबियों का कहना है वसुंधरा राजे पार्टी के कार्यक्रमों से दूर ही रहेंगीं। क्योंकि पार्टी ने जिस तरह से उनकी अनदेखी की है वह उकने कद काठी के हिसाब से ठीक नहीं है। राजस्थान बीजेपी में वसुंधरा राजे के कद काठी को कोई नेता नहीं है। वसुंधरा राजे में ही सभी समाज को एक साथ लेकर चलने की क्षमता है। सियासी जानकारों का कहना है कि बीजेपी की असली परीक्षा लोकसभा चुनाव में होगी। क्योंकि इस बार वसुंधरा राजे को सीएम नहीं बनाए जाने से नाराज होकर बीजेपी का कोर वोट बैंक राजपूत समाज नाराज बताया जा रहा है। विधानसभा चुनाव के हिसाब से कांग्रेस को 11 लोकसभा सीटों पर बंपर जीत मिली थी। जबकि बीजेपी 14 लोकसभा सीटों पर आगे रहीं थी। बीजेपी लगातार राजस्थान में 25 सीटों को जीतती आ रही है। लेकिन सियासी जानकारों का कहना है कि इस बार मुकाबला कांटे का है।
विकल्प ढूंढ रहीं है वसुंधरा राजे ?
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि वसुंधरा राजे सही मौके के इंतजार में है। वैसे ही जैसे एमपी में उनके भतीजे औऱ केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया तलाश में था। वैसे ही जैसे गहलोत के शासन में सचिन पायलट। सियासी जानकारों का कहना है कि राजनीति में कुछ भी स्थाई नहीं होता है। कब क्या हो जाए। किसी ने नहीं सोचा कि पहली बार ही विधायक बनने वाले भजनलाल शर्मा मुख्यमंत्री बन जाएंगे। सियासी जानकारों का कहना है कि वसुंधरा राजे की चुपी तक ही राज रहेगा। जिस दिन राजे की चुपी टूटी राजस्थान की राजनीति में खेला हो सकता है।