मध्य प्रदेश में फैसला लिया गया है कि शिवराज सिंह चौहान भी चेहरा बनेंगे। उन्हें पीएम नरेंद्र मोदी के साथ ही जगह दी जाएगी और पोस्टर, बैनर से लेकर रैलियों तक में उनके नाम का खूब जिक्र होगा।
वसुंधरा खेमे की तरफ से लगातार आलाकमान से यह मांग की जा रही है कि पार्टी उन्हें अपना चेहरा घोषित कर चुनाव में उतरे, जबकि उनके विरोधी सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश व कर्नाटक के विधानसभा चुनावों में दो दशक से ज्यादा समय से हर बार सत्ता बदलाव के रिवाज को कामय रखा और भाजपा को काफी कोशिश करने के बाद भी सत्ता बरकरार रखने में सफलता नहीं मिली।
माना जा रहा है कि राजस्थान और दिल्ली में भाजपा का सबसे खास ध्यान गुटबाजी पर रहा। वहीं, बिहार में पार्टी ने उस जाति से ही एक चेहरा खड़ा किया है, जो पारंपरिक रूप से नीतीश कुमार के लिए मतदान करता था।
उपराष्ट्रपति पद के लिए राजस्थान के जाट समुदाय से आने वाले पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ का नाम तय कर भाजपा ने सामाजिक और क्षेत्रीय समीकरणों के साथ राजनीतिक समीकरण भी साधे हैं।
भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक के दौरान पार्टी ने इस बात को साफ करने की कोशिश की थी कि आने वाले चुनावों खासकर राजस्थान में प्रधानमंत्री मोदी का चेहरा व कमल निशान ही सबसे उपर होगा।
भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की तीन दिवसीय बैठक की शुरुआत शुक्रवार से राजस्थान के जयपुर में शुरू हुई। तीन दिनों तक चलने वाले सम्मेलन में पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारी भी शामिल हुए हैं।