Rajasthan politics: कमबैक करने की तैयारी में वसुंधरा राजे, लोकसभा चुनाव से बदले समीकरण
मोदी कैबिनेट में पांचवीं बार सांसद बने वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह को जगह नहीं मिली है। सियासी जानकार इसके अलग-अलग मायने निकाल रहे है। लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन पर राजे की वापसी हो सकती है।
मोदी कैबिनेट में राजस्थान के चार सांसदों को जगह मिली है। भूपेंद्र यादव, अर्जुन मेघवाल, गजेंद्र सिंह शेखावत और भागीरथ चौधरी को मंत्री बनाया है। पहले अटकलें लगाई जा रहीं थी कि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह को मंत्री बनाया जाएगा। दुष्यंत झालावाड़-बारां संसदीय क्षेत्र से लगातार पांचवीं बार सांसद बने है। लेकिन पीएम मोदी ने दुष्यंत सिंह की तुलना में गजेंद्र सिंह शेखावत को तवज्जो दी है। सियासी जानकार इसके अलग-अलग मायने निकाल रहे है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन पर भजनलाल शर्मा हटाए जा सकते है। वसुंधरा राजे की वापसी हो सकती है। शायद यहीं वजह है कि वसुंधरा राजे के बेटे को मंत्री नहीं बनाया है। वसुंधरा राजे कैंप के नेता फिलहाल खामोश है। सियासी जानकारों का कहना है कि कांग्रेस ने बीजेपी से 11 सीटें छीन ली है। बीजेपी को सियासी तौर पर बड़ा नुकसान हुआ है। माना जा रहा है कि अब जल्द ही भजनलाल मंत्रिमंडल का विस्तार होगा। माना जा रहा है कि वरिष्ठ विधायकों को जगह मिल सकती है।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान बीजेपी में वसुंधरा राजे के कद से जैसा नेता नहीं है। सियासी जानकारों का कहना है कि वसुंधरा राजे की अनदेखी से बीजेपी से राजपूत नाराज हो गए है। राजपूत और बीजेपी के परंपरागत वोटर्स माने जाते है। लेकिन लोकसभा चुनाव में राजपूत और गुर्जरों के वोट बीजेपी को नहीं मिले है। ऐसे में माना जा रहा है कि राजपूतों की नाराजगी दूर करने के लिए बीजेपी नेतृत्व बड़ा निर्णय ले सकता है।
वसुंधरा राजे के सभी समाज की नेता मानीं जाती है। सियासी जानकारों का कहना है कि गजेंद्र सिंह शेखावत को तीसरी बार मंत्री बनाने से साफ जाहिर है कि वह राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय रहेंगे। प्रदेश की राजनीति में सक्रिय नहीं रहेंगे। विधानसभा चुनाव के दौरान अटकलें लगाई जा रही थी कि गजेंद्र सिंह शेखावत को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। लेकिन भजनलाल शर्मा मुख्यमंत्री बन गए। वसुंधरा राजे के साइडलाइन कर दिया। बता दें राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा राजे और गजेंद्र सिंह शेखावत एक-दूसरे के धुर विरोधी माने जाते है।