lok sabha result 2024: वसुंधरा राजे को साइडलाइन करना भारी पड़ा BJP को, अब आगे क्या होगा?
राजस्थान में हैट्रिक का दावा करने वाली बीजेपी का बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस ने इस बार बेहतर प्रदर्शन कर राजनीतिक विश्लेषकों को चौंका दिया है। वसुंधरा राजे को फ्रंट पर लाने की मांग जोर पकड़ेगी।
राजस्थान में हैट्रिक का दावा करने वाली बीजेपी का बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस ने इस बार उम्मीद से भी ज्यादा प्रदर्शन कर राजनीतिक विश्लेषकों को चौंका दिया है। सियासी जानकार बीजेपी की हार के अलग-अलग कारण बता रहे है। एक वर्ग का कहना है कि वसुंधरा राजे की अनदेखी बीजेपी को भारी पड़ी है। जबकि कुछ का कहना है कि बीजेपी नेताओं द्वारा कांग्रेस को हल्के में लेना भारी पड़ गया है। कारण कुछ भी रहे, लेकिन इतना जरूर है कि वसुंधरा राजे को साइड लाइन करने से पार्टी को नुकसान हुआ है। इसकी वजह यह है कि बीजेपी से राजपूत वोट दूर हो गए। बीजेपी का यह परंपरगत वोटर माना जाता है। लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद राजपूत समाज की अनदेखी के आरोप लगे है। सियासी जानकारों का कहना है कि बीजेपी ने वसुंधरा राजे को सीएम नहीं बनाकर बड़ी गलती की है। इसका खामियाजा उठाना पड़ सकता है।
सीकर और बाड़मेर में करारी हार
राजस्थान में सीकर और बाड़मेर सीट पर पार्टी की न केवल करारी हार हुई बल्कि संगठन में चल रही खेमेबंदी का परिणाम सबके सामने आ गया। नतीजा यह रहा कि बीजेपी दोनों ही सीटों करारी हार हुई। अब पार्टी इसे परिस्थितजन्य हार बता रही है। है। झालावा़ड़ से वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह बड़े अंतर से चुनाव जीत गए है। लेकिन पूर्वी राजस्थान में बीजेपी का सूपड़ा साफ हो गया है। दौसा से कांग्रेस ने दो लाख से ज्यादा के बड़े अंतर से जीत हासिल की है। जबकि भरतपुर, करौली-धौलपुर से भी कांग्रेस को जीत हासिल हुई है। सियासी जानकारों का कहना है कि वसुंधरा राजे की जगह भजनलाल को मुख्यमंत्री बनाने का असर साफ दिखाई दे रहा है। वसुंधराजे खामोश रहीं। स्टार प्रचार बनाने के बावजूद भी प्रचार से दूरी बनाएं रखीं। सियासी जानकारों का कहना है राजस्थान में सीएम का मजबूत चेहरा नहीं होना भी हार की बड़ी वजह हो सकती है।
वसुंधरा राजे को फ्रंट पर लाने की मांग जोर पकड़ेगी
राजनीति के जानकारों के अनुसार इन परिणामों के बाद अब पार्टी में वसुंधरा राजे को फ्रंट में लाने की मांग जोर पकड़ेग चुनाव के तत्काल बाद कुछ नेताओं ने तो इस मांग को कल ही उठा दिया। वसुंधरा राजे समर्थकों को टिकट काटना भी पार्टी का भारी पड़ गया। माना जा रहा है कि अब वसुंधरा राजे समर्थक प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की मांग कर सकते है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का हटाने की मुहिम तेज हो सकती है। हालांकि, लोकसभा चुनाव पीएम मोदी के चेहरे पर लड़ा गया था। लेकिन सीएम भजनलाल शर्मा की नैतिक जिम्मेदारी बनती है। ऐसे मे माना यही जा रहा है कि आने वाले दिनों में बीजेपी में गुटबाजी को हवा मिल सकती है।