वसुंधरा राजे का गढ़ भेदने के लिए इन चेहरों पर दांव लगा सकती है कांग्रेस, रेस में ये नाम
बीजेपी ने राजस्थान की कुल 25 में से 15 लोकसभा सीटों के लिए अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। सबसे चर्चित सीट झालावाड़ है। कांग्रेस ने इस बार वसुंधरा राजे के बेटे को घेरने की रणनीति बनाई है।
बीजेपी ने राजस्थान की कुल 25 में से 15 लोकसभा सीटों के लिए अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। सबसे चर्चित सीट झालावाड़ है। जहां से बीजेपी ने एक बार फिर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने इस बार वसुंधरा राजे का गढ़ भेदने के लिए रणनीति बनाई है। इस बार कांग्रेस किसी बड़े चेहरे या फिर कि सेलिब्रिटी को टिकद दे सकती है। आधा दर्जन दावेदार है। लेकिन माना जा रहा है कि इस बार कांग्रेस टिकट वितरण बहुत समझकर करने जा रही है। यहीं वजह है कि पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा और प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कार्यकर्ताओं से संवाद किया है। चर्चा यह भी है कि गहलोत के करीबी प्रमोद जैन भाया या फिर उनकी पत्नी को टिकट दिया जा सकता है। बता दें कांग्रेस ने हर बार वसुंधरा राजे के गढ़ को भेदने के लिए रणनीति बदली, लेकिन सफलता नहीं मिली है। 35 साल से बीजेपी का इस सीट पर दबदबा है।
कांग्रेस पार्टी ने यहां पर कई बार स्ट्रेटजी बदली
कांग्रेस पार्टी ने यहां पर कई बार स्ट्रेटजी बदली और स्थानीय के अलावा बाहर से भी प्रत्याशियों को उतारा. साल 1999 में वसुंधरा राजे सिंधिया के खिलाफ डॉ. अबरार अहमद को कांग्रेस ने चुनावी मैदान में उतारा था, लेकिन उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा।इसके बाद 2004 में दुष्यंत सिंह के सामने भी संजय गुर्जर को चुनावी मैदान में उतारा गया, उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा। केंद्र में किसी भी पार्टी की सरकार रही हो, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ही बीते 35 साल से झालावाड़ लोकसभा सीट से जीतती आ रही है। साल 2009 में परिसीमन के बाद यह सीट बारां-झालावाड़ हो गई थी। इसमें भी तीनों बार दुष्यंत सिंह ही भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीते हैं।एक ही परिवार से आने वाले पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया और दुष्यंत सिंह लगातार 9 बार यहां से प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्हें कई प्रत्याशियों ने आकर चुनौती दी, लेकिन हर बार मात ही खानी पड़ी है।
बीेजेपी का रहा है दबदबा
झालावाड़ लोकसभा सीट की बात की जाए तो इसमें शुरुआती दो चुनाव नेमीचंद कासलीवाल जीते थे. वह 1952 और 1957 में इस सीट से सांसद रहे। इसके बाद इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी या जनसंघ का कब्जा ही रहा है। साल 1984 में भी यहां से कांग्रेस से जुझार सिंह चुनाव जीते हैं, जबकि इसके बाद हुए सभी चुनाव में भारतीय जनता पार्टी यहां से जीतती आई है। इस सीट पर अब तक हुए 17 चुनाव में से 14 पर भारतीय जनता पार्टी चुनाव जीती है, जबकि तीन चुनाव कांग्रेस पार्टी जीत पाई है। इस लोकसभा सीट पर राज परिवारों का दबदबा सामने आया है, जिसमें 17 चुनाव में से 10 चुनाव में राज परिवार से जुड़े सदस्य ही चुनाव जीते हैं। अब तक इस सीट पर राज परिवार से जुड़े सदस्यों ने 12 चुनाव लड़े हैं। झालावाड़ लोकसभा सीट की बात की जाए तो यहां से 1952 के बाद अब तक 17 चुनाव हो चुके है। यहां से 6 जने ही सांसद बने हैं। इनमें सबसे ज्यादा वसुंधरा राजे सिंधिया पांच बार यहां से निर्वाचित हुईं हैं। इसके बाद उनके बेटे दुष्यंत सिंह यहां पर चार बार निर्वाचित हो चुके हैं। कोटा के पूर्व महाराव बृजराज सिंह यहां से तीन बार सांसद रहे हैं। इसके अलावा बारां जिले के अंताना निवासी चतुर्भुज नागर और नेमीचंद कासलीवाल भी दो बार यहां से सांसद बने हैं। इसी तरह से जुझार सिंह भी यहां से एक बार सांसद बने हैं।
सात विधानसभा सीटों पर भाजपा, एक पर कांग्रेस
बारां-झालावाड़ लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें सात सीटों पर साल 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने कब्जा जमाया था, जबकि एकमात्र सीट खानपुर कांग्रेस के खाते में गई है। सुरेश गुर्जर विधायक बने हैं, जबकि शेष 8 सीटों की बात की जाए तो झालरापाटन से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे विधायक बनीं थीं। इसके अलावा डग सीट से कालू लाल मेघवाल, मनोहर थाना से गोविंद रानीपुरिया, बारां-अटरू से राधेश्याम बैरवा, छबड़ा से प्रताप सिंह सिंघवी, किशनगंज से ललित मीणा और अंता सीट से कंवरलाल मीणा चुनाव जीते हैं।