सांप से कितना ही प्रेम कर लो वह डसता जरूर है, शांत वसुंधरा राजे के तल्ख तेवर क्यों?
- राजनीतिक विश्लेषक शांत बैठी वसुंधरा राजे के तल्ख तेवरों के सियासी मायने निकाल रहे है। पहला यह है वसुंधरा राजे सियासी मैसेज देना चाहती है कि वह शांत जरूर है,लेकिन इसे कमजोरी नहीं माना जाए।
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बयान से बीजेपी में खबलबी मची हुई है। वसुंधरा राजे ने कहा कि महाराणा का जीवन हमें बताता है कि सांप से कितना ही प्रेम करलो, वह अपने स्वभाव के अनुरूप कभी न कभी तो आप पर जहर उगलेगा ही। वसुंधरा राजे ने कहा-अपन हार कर भी जीत सकते हैं। जो सुख में अति प्रसन्न और संकट में डर कर झुक जाते हैं, उन्हें न तो सफलता मिलती और न ही इतिहास उन्हें याद रखता। सांप से कितना ही प्रेम करलो, वह डसता जरूर है। सबसे पहले स्वाभिमान है। ये बातें वसुंधरा राजे ठीक उस समय कह रही थी जब CM भजनलाल के साथ पूरी बीजेपी प्रदेश कार्यालय में उपचुनाव में मिली जीत का जश्न मना रही थी।
राजनीतिक विश्लेषक शांत बैठी वसुंधरा राजे के तल्ख तेवर के सियासी मायने निकाल रहे है। पहला यह है वसुंधरा राजे पार्टी आलकमान को सियासी मैसेज देना चाहती है कि वह शांत जरूर है,लेकिन इसे कमजोरी नहीं माना जाए। बता दें सीएम भजनलाल शर्मा, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और अर्जुन मेघवाल से छत्तीस का आंकड़ा रहा है।
दूसरा अर्थ यह निकाला जा रहा है कि वसुंधरा राजे का जो दर्द है वह बाहर आ गया है।राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने से उपजी नाराजगी बरकरार है। कई बार वसुंधरा राजे पार्टी के बड़े कार्यक्रमों से दूरी बना ली थी। हालांकि,वसुंधरा राजे ने उपचुनाव में पार्टी की जीत पर बधाई दी है, लेकिन सियासी जानकार इसे महज औपचारिकता मानकर चल रहे है। रविवार को राजे करीब साढ़े तीन महीने बाद भाजपा मुख्यालय आईं थी। इससे पहले वे 3 अगस्त को प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में शामिल होने के लिए भाजपा मुख्यालय पहुंचीं थी।
हालांकि, वसुंधरा राजे ज्यादा समय नहीं रुकीं और करीब 15 मिनट में ही भाजपा कार्यालय से निकल गईं। उनके भाजपा मुख्यालय से निकलने के बाद सीएम भजनलाल शर्मा, प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ और प्रभारी राधामोहन दास अग्रवाल कार्यालय पहुंचे। सियासी जानकारों के मुताबिक वसुंधरा राजे पार्टी आलाकमान को यह मैसेज देना चाहती है कि वह वापसी के लिए तैयार है। हालांकि, पार्टी आलाकमान की तरफ ऐसा कोई संकेत नही मिला है कि वसुंधरा राजे की वापसी होगी या नहीं होगी। क्योंकि वसुंधरा राजे की उम्र 70 पार हो गई है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया इशारों में बिना नाम लिए वसुंधरा राजे को उम्रदराज नेता मानते है।