Hindi Newsपंजाब न्यूज़Punjab Haryana High Court got angry over Type test conditions to Physically challenged Ex Army Jawan who losses fingers

जॉब चाहिए, तो दो टाइप टेस्ट; उंगलियां गंवाने वाले पूर्व सैनिक से शर्त पर भड़का हाई कोर्ट, सरकार को लताड़

हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि समान नियमों के तहत दिव्यांग श्रेणी को टाइप टेस्ट उत्तीर्ण करने से छूट दी जानी है तो उक्त लाभ ऐसे भूतपूर्व सैनिक को दिया जा सकता है, जो राष्ट्र की सेवा करते समय दिव्यांगता का शिकार हुआ हो।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, चंडीगढ़Tue, 17 Dec 2024 10:19 PM
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पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कारगिल युद्ध में दोनों हाथों की उंगलियां गंवाने वाले पंजाब के एक पूर्व सैनिक को सरकारी नौकरी के लिए टाइप टेस्ट पास करने की शर्त पर पंजाब सरकार को जमकर लताड़ लगाई है। हाई कोर्ट ने कहा कि किसी ऐसे अभ्यर्थी से जिसकी उंगलियां कटी हुई हों, क्लर्क पद के लिए टाइपिंग टेस्ट पास करने के लिए कहना मनमाना और अवैध है। देश सेवा करते हुए दिव्यांग होने वाले सैनिक को नौकरी में छूट न देना पूरी तरह से भेदभावपूर्ण है। अभ्यर्थी ने भूतपूर्व सैनिक (सामान्य) की आरक्षित श्रेणी में आवेदन किया था। याचिकाकर्ता कारगिल युद्ध का हिस्सा बना था, जिसमें उसके दोनों हाथों की 2-2 उंगलियां कट गई थीं। हाई कोर्ट ने यह टिप्पणियां पूर्व सैनिक सतिंद्र पाल सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए की।

टाइप टेस्ट में दिव्यांग के लिए है छूट

सतिंद्र पाल सिंह ने याचिका में कहा है कि वह विज्ञापित पदों की संख्या के भीतर चयनित होने के लिए योग्य थे लेकिन उन्हें टाइप टेस्ट में बैठने के लिए कहा गया, जिसे वह कारगिल युद्ध में लगी चोटों के कारण पास नहीं कर सके। जो अभ्यर्थी सामान्य स्थिति में थे, लेकिन शारीरिक रूप से दिव्यांग श्रेणी में प्रतिस्पर्धा कर रहे थे, उन्हें टाइप टेस्ट पास करने से छूट दी गई है जबकि याचिकाकर्ता को केवल इस आधार पर लाभ प्रदान नहीं किया गया कि टाइप टेस्ट पास करने की छूट का लाभ शारीरिक रूप से दिव्यांग कर्मचारियों को उपलब्ध है, न कि भूतपूर्व सैनिकों की श्रेणी में प्रतिस्पर्धा करने वाले को।

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पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के जस्टिस हरसिमरन सिंह सेठी ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास पूर्व सैनिकों की आरक्षित श्रेणी में प्रतिस्पर्धा के लिए पात्रता है। छूट प्राप्त करने के लिए आवश्यक शारीरिक दिव्यांगता भी है। सरकार के विज्ञापन के अनुसार टाइप टेस्ट पास करने से छूट दी गई है और एकमात्र शर्त यह है कि संबंधित उम्मीदवार दिव्यांगता से ग्रस्त हो, जिसे सिविल सर्जन द्वारा प्रमाणित किया जाना चाहिए और ऐसे उम्मीदवार को छूट दी जानी चाहिए। इसमें ऐसा कोई उल्लेख नहीं है कि केवल दिव्यागों की आरक्षित श्रेणी में प्रतिस्पर्धा करने वाले उम्मीदवार ही उक्त छूट के हकदार होंगे।

याचिकाकर्ता के आवेदन पर विचार करें अधिकारी

हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि समान नियमों के तहत दिव्यांग श्रेणी को टाइप टेस्ट उत्तीर्ण करने से छूट दी जानी है तो उक्त लाभ ऐसे भूतपूर्व सैनिक को दिया जा सकता है, जो राष्ट्र की सेवा करते समय दिव्यांगता का शिकार हुआ हो और जिसकी दिव्यांगता 40 प्रतिशत से अधिक हो और जिसके दोनों हाथों की 2-2 अंगुलियां कट गई हों। हाई कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि कोई भी अभ्यर्थी, जिसे शारीरिक रूप से दिव्यांग माना जाता है लेकिन उसके हाथ में कोई दिव्यांगता नहीं है, उसे टाइप टेस्ट पास करने से छूट नहीं दी जा सकती। इसी तरह सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थी, जिसके हाथ में उंगलियां नहीं हैं, को टाइप टेस्ट में बैठने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

जस्टिस सेठी ने कहा कि छूट किसी व्यक्ति की दिव्यांगता को ध्यान में रखते हुए दी जानी चाहिए, चाहे वह किसी भी श्रेणी में शामिल हो। वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता अन्य लोगों की तरह छूट का लाभ पाने का हकदार था, जो शारीरिक दिव्यांगता से ग्रस्त हैं, जिसके कारण वे टाइप टेस्ट पास नहीं कर सके। हाई कोर्ट ने प्राधिकारियों को क्लर्क पद पर नियुक्ति के लिए उक्त रिक्त पद के विरुद्ध याचिकाकर्ता के दावे पर विचार करने आदेश देकर याचिका का निपटारा कर दिया।

(रिपोर्ट: मोनी देवी)

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