ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से शिक्षा हासिल करने वालीं आतिशी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर सितंबर 2024 में कार्यभार संभाला था। केजरीवाल के इस्तीफे के बाद वह इस पद पर आई थीं।
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक 28 दिसंबर 2013 को दिल्ली के मुख्यमंत्री बने। 2014 में कुछ समय के लिए इस्तीफा देने के बाद उन्होंने 14 फरवरी 2015 को फिर से पद पर वापसी की। कार्यकाल के दौरान उन्होंने भ्रष्टाचार, शिक्षा और स्वास्थ्य समेत कई मुद्दों पर जोर दिया और सितंबर 2024 को पद से इस्तीफा दे दिया था।
कांग्रेस नेता शीला दीक्षित के साथ ही दिल्ली में फिर कांग्रेस के अध्याय की शुरुआत हुई। वह सबसे लंबे समय तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। उन्होंने यह पद 3 दिसंबर 1998 से 28 दिसंबर 2013 तक लगातार तीन कार्यकाल तक संभाला। साल 2020 में उनका निधन हो गया था।
भारत की पूर्व विदेश मंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज 12 अक्तूबर से 3 दिसंबर 1998 तक कुछ महीनों के लिए दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। साल 2019 में उनका निधन हो गया था।
साहिब सिंह वर्मा ने दिल्ली में भाजपा सरकार का रथ आगे बढ़ाया और 26 फरवरी से लेकर 12 अक्तूबर 1998 तक मुख्यमंत्री रहे। 15 जनवरी 1944 को जन्मे वर्मा 2018 में दुनिया से विदा हो गए थे।
पंजाब के अमृतसर के पास जन्मे मदन लाल खुराना का दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर कार्यकाल 2 दिसंबर 1993 से लेकर 26 फरवरी 1996 तक रहा। उनके साथ ही राज्य की सत्ता में भारतीय जनता पार्टी की एंट्री हुई थी। बाद में वह संसद सदस्य बने और 2021 में दुनिया को अलविदा कह गए। उनका जन्म 15 अक्तूबर 1934 को हुआ था।
12 फरवरी 1955 से लेकर 1 नवंबर 1956 तक गुरमुख निहाल सिंह दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे। 1 नवंबर 1918 को दिल्ली के दरियागंज में जन्मे सिंह सीएम पद से हटने के बाद राजनीति में तो सक्रिय थे, लेकिन कोई बड़े पद पर नहीं रहे। साल 1994 में उनका निधन हो गया था।
साल 1918 में केन्या में पैदा हुए चौधरी ब्रह्म प्रकाश 17 मार्च 1952 में दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री बने थे। उनका कार्यकाल 12 फरवरी 1955 तक रहा। वह केंद्रीय मंत्री भी रहे और साल 2001 में उनके नाम से स्टाम्प भी जारी किया गया था। 1993 में प्रकाश का निधन हो गया था।
दिल्ली में एक समय ऐसे भी आया था, जब यहां 1956 के बाद 37 साल तक चुनाव ही नहीं हुए। क्योंकि, 1956 में दिल्ली को केंद्र शासित प्रदेश में बदलने के साथ सदन को समाप्त कर दिया गया था। 1952 में 48 सीटों पर चुनाव हुए, जिनमें से छह निर्वाचन क्षेत्रों में दो सदस्यों का चुनाव हुआ और शेष 36 पर एक सदस्य चुना गया। चुनाव आयोग के रिकॉर्ड के अनुसार, दिल्ली में 5,21,766 पात्र मतदाता थे, जिनमें से 58.52 फीसदी ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। कांग्रेस ने 39 सीटों के साथ बहुमत हासिल किया। जनसंघ, हिंदू महासभा और सोशलिस्ट पार्टी ने मिलकर 10 सीटें हासिल कीं। 1956 और 1990 के बीच 61-सदस्यीय मेट्रोपॉलिटन काउंसिल ने दिल्ली का प्रशासन किया।