यमुना की सफाई को लेकर क्या-क्या जरूरी, DPCC ने PMO को सौंपा प्लान; बताए तरीके
दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनने से पहले ही यमुना नदी की सफाई का काम शुरू कर दिया गया है। अब दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने यमुना की सफाई को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय को प्लान सौंपा है। बीजेपी ने दिल्ली चुनाव में यमुना की गंदगी को बड़ा मुद्दा बनाया था।
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दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनने से पहले ही यमुना नदी की सफाई का काम शुरू कर दिया गया है। अब दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने यमुना की सफाई को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय को प्लान सौंपा है। इसमें नदी की सफाई के लिए प्रमुख उपायों की रूपरेखा है। बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में यमुना की गंदगी को बड़ा मुद्दा बनाया था।
दिल्ली में यमुना नदी के कायाकल्प के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को एक कार्ययोजना सौंपी गई है। इसमें सीवेज ट्रीटमेंट क्षमता बढ़ाने और अन्य महत्वपूर्ण उपायों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि पर्यावरण विभाग के तहत आने वाले दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने पिछले सप्ताह यमुना की सफाई और कायाकल्प के संबंध में पीएमओ को एक दस्तावेज सौंपा।
इस योजना में सफाई को लेकर अपनाए जाने वाले प्रमुख उपायों की रूपरेखा भी गई है। इसमें प्रमुख नालों की निकासी, नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की स्थापना, जेजे क्लस्टरों में जल निकासी प्रणाली को जोड़ना, सीईटीपी को आधुनिक बनाना, बाढ़ के मैदानों से अतिक्रमण हटाना और नदी के तट का सौंदर्यीकरण शामिल है।
पिछले सप्ताह पीएमओ को भेजे गए दस्तावेज के अनुसार, डीपीसीसी ने पल्ला से असगरपुर गांव तक यमुना के 48 किलोमीटर लंबे हिस्से को सबसे प्रदूषित हिस्से के रूप में वर्गीकृत किया गया है। साथ ही इस बात की भी चिंता जताई गई है कि उच्च बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) का स्तर 3 मिलीग्राम प्रति लीटर के वांछित मानक से बहुत अधिक है। ऐसे में पानी की गुणवत्ता में सुधार के लिए 23 क्यूमेक्स (437 एमजीडी) के न्यूनतम पर्यावरणीय प्रवाह (ई-फ्लो) की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। हालांकि पानी की कमी के कारण दिल्ली में यमुना का प्रवाह लगभग शून्य है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रेणुका, लखवार और किशाऊ सहित लंबित बांध परियोजनाएं पानी की कमी को दूर कर सकती हैं। प्रदूषण को रोकने की डीपीसीसी के प्लान में 100 प्रतिशत सीवेज ट्रीटमेंट पहल शामिल है।
शहर की सीवेज उपचार क्षमता 2023 में 792 एमजीडी (मिलियन गैलन प्रति दिन) से दिसंबर 2026 तक 964.5 एमजीडी तक बढ़ने की योजना है। इसमें दिल्ली गेट पर एक नया एसटीपी और पाइपलाइन में 40 नए विकेन्द्रीकृत एसटीपी (डीएसटीपी) की योजना बनाई गई है। इसके अलावा दिसंबर 2026 तक 14 मौजूदा एसटीपी को अपग्रेड करने की योजना है। यमुना में बहने वाले 22 नालों को रोकने और मोड़ने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। डीपीसीसी के दस्तावेज के अनुसार 10 नालों को पहले ही टैप किया जा चुका है। दो को आंशिक रूप से टैप किया गया है और आठ को अभी भी टैप नहीं किया गया है। दिसंबर 2025 तक 48.14 एमजीडी अपशिष्ट जल को डायवर्ट करने के लिए पांच प्रमुख नालों नजफगढ़, शाहदरा, बारापुला, महारानी बाग और मोरी गेट को अभी डायवर्ट किया जाना है।
डीपीसीसी के प्लान में अनधिकृत कॉलोनियों और जेजे क्लस्टरों में सीवरेज नेटवर्क का विस्तार करने पर भी ध्यान दिया गया है। इसमें वर्तमान में 1,799 अनधिकृत कॉलोनियों में काम चल रहा है। इसे दिसंबर 2026 पूरा करने का लक्ष्य है। अतिक्रमण पर चिंता जताते हुए कहा गया है कि पिछले 31 महीनों में 1,500 एकड़ से अधिक बाढ़ के मैदान को साफ किया गया है।
डीडीए को नदी के किनारे के क्षेत्रों को बहाल करने, जैव विविधता पार्क विकसित करने और निर्माण से जुड़े मलबे को हटाने का काम सौंपा गया है। योजना में कहा गया है कि आगे के अतिक्रमणों का आकलन करने और उन्हें हटाने के लिए ड्रोन सर्वेक्षण भी किया जा रहा है।
डीपीसीसी के प्लान में यमुना नदी तट के सौंदर्यीकरण और जीर्णोद्धार के लिए 1600 हेक्टेयर में फैले 11 जैव विविधता पार्क का विकास करना भी शामिल है। इसमें बताया गया है कि ऐतिहासिक घाटों के जीर्णोद्धार पर भी ध्यान दिया जा रहा है। वासुदेव घाट पहले से ही विकसित है और डीडीए पुराने घाटों के संरक्षण के लिए काम कर रहा है।