सदन से उठाकर बाहर फेंके गए थे विजेंद्र गुप्ता, अब स्पीकर बनकर लौटे; संभालेंगे व्यवस्था
- यह पल एक नाटकीय बदलाव सा लगता है, क्योंकि इन्हीं विजेद्र गुप्ता को मार्शलों द्वारा सदन से घसीटकर बाहर किया गया था। आज वही नेता उसी सदन में स्पीकर होंगे। आइए जानते हैं क्या वजह थी।
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दिल्ली में रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने शपथ ग्रहण कर ली है। भाजपा के विजेंद्र गुप्ता को दिल्ली विधानसभा का स्पीकर बनाया गया है। यह पल एक नाटकीय बदलाव सा लगता है, क्योंकि इन्हीं विजेद्र गुप्ता को मार्शलों द्वारा सदन से घसीटकर बाहर किया गया था। आज वही नेता उसी सदन में स्पीकर होंगे। आइए जानते हैं क्या वजह थी।
मार्शलों द्वारा सदन से बाहर करने की वजह
साल 2019 में दिल्ली विधानसभा में प्याज के बढ़ते दामों को लेकर सदन में चर्चा करना चाह रहे थे, लेकिन बीजेपी के विधायकों की मांग को विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल ने खारिज कर दिया। मांग खारिज होने के बाद भी वो अपनी मांग पर अड़े रहे। इसके चलते विजेंद्र गुप्ता को मार्शलों की मदद से सदन से बाहर करवा दिया गया था। इसके बाद पार्टी के अन्य सदस्य भी वॉकआउट कर गए थे।
लहर के बावजूद दर्ज की थी जीत, आज पलटी बाजी
दिलचस्प बात यह है कि पूर्व अध्यक्ष राम निवास गोयल और अरविंद केजरीवाल दोनों ही अब विधानसभा का हिस्सा नहीं हैं। विजेंद्र गुप्ता ने 2015 और 2020 में केजरीवाल लहर के बीच जीत हासिल की थी। मगर आज भाजपा की लहर के सामने आप के दोनों नेता हार गए हैं। इस तरह वही विजेंद्र गुप्ता अब सदन की कार्यवाही की अध्यक्षता करेंगे, जिन्हें एक बार घसीट कर बाहर निकाला गया था।
लगातार दर्ज की 3 जीत, जानिए एजुकेशन बैकग्राउंड
बनिया समुदाय से ताल्लुक रखने वाले गुप्ता ने रोहिणी विधानसभा सीट पर लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की है। उन्होंने आप के प्रदीप मित्तल को 37,000 से अधिक मतों से हराया है। विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे गुप्ता दिल्ली भाजपा इकाई के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 14 अगस्त 1963 को जन्मे विजेंद्र गुप्ता ने श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने 1980 में जनता विद्यार्थी मोर्चा से राजनीति में कदम रखा और बाद में 1995 में भाजपा की युवा शाखा के अध्यक्ष बने।
जीत से पहले हुई कई हार, जानिए किसने और कब हराया
गुप्ता को पहली बार 1997 में चुनावी सफलता मिली जब वे दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में पार्षद बने। हालांकि, उन्हें अपने पहले लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा, 2009 में चांदनी चौक से कांग्रेस के कपिल सिब्बल से हार गए। चार साल बाद, उन्हें 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल ने हराया।
हार के बाद की वापसी को अब तक बनाए रखा बरकरार
हालांकि, व्यापारी समुदाय के बीच प्रभाव रखने वाले गुप्ता ने 2015 में रोहिणी सीट जीतकर वापसी की। उस साल, वह भाजपा के तीन विजयी उम्मीदवारों में से एक थे। उन्होंने 2020 और 2025 में सीट बरकरार रखी और अब विधानसभा अध्यक्ष के रूप में अपने राजनीतिक जीवन में एक और यात्रा शुरू करने के लिए तैयार हैं।