समस्या भी वही, उनके जवाब भी- केवल साल बदलना दुखद; पलूशन पर डॉक्टरों ने दिल्ली प्रशासन की करी आलोचना
इस समस्या की चर्चा सबसे पहले साल 2004 में की थी। लगभग 20 साल हो गए हैं। समस्या भी वही है और उनके जवाब भी। सब कुछ वही है केवल साल बदल रहा है।
दिल्ली एनसीआर में पलूशन का लेवल खतरनाक बना हुआ है। इससे राजधानी लगातार जूझ रही है। इस कारण लोगों को स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इन परिस्थितियों के लिए डॉक्टरों ने दिल्ली प्रशासन की भी आलोचना की है। मेदांता हॉस्पिटल के इंस्टीट्यूट ऑफ चेस्ट सर्जरी के चेयरमैन डॉक्टर अरविंद कुमार ने इस विषय में न्यूज ऐजेंसी एएनआई से बातचीत की। उन्होंने इस मसले पर सरकार की प्रतिक्रिया पर निराशा जताई। साथ ही सरकार द्वारा अल्पकालिक तरीकों को अपनाने की भी आलोचना की। उन्होंने इस समस्या की जड़ को पहचानने में प्रशासन की असफलता की भी आलोचना की।
मैं इन प्रयासों से सहमत नहीं हूं
डॉ कुमार ने चेतवनी दी कि शहर में पलूशन के बढ़ते स्तर के कारण हवा की गुणवत्ता खराब हो चुकी है। इससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। लोगों में निमोनिया और सांस संबधी बीमारियां बढ़ने लगी हैं। उन्होंने कहा कि स्कूलों को बंद करना और ग्रैप के नियमों को लागू कर देने मात्र से मैं सहमत नहीं हूं, क्योंकि ये सभी तात्कालिक समस्या को दूर करने की प्रतिक्रिया मात्र हैं।
साल बदले मगर समस्या वही की वही
मैं यह समझने में असमर्थ हूं कि यही कहानी हर साल क्यों होती है। उन्होंने बताया कि हमने इस समस्या की चर्चा सबसे पहले साल 2004 में की थी। लगभग 20 साल हो गए हैं। आपको किसी का कोई इंटरव्यू लेने की जरूरत नहीं है। बस आप अपने पुराने इंटरव्यू देखिए और पता चल जाएगा कि समस्या भी वही है और उनके जवाब भी। सब कुछ वही है केवल साल बदल रहा है। डॉ कुमार ने कहा कि यह दुखद है कि हम साल 2024 मे हैं और आज भी उन्हीं कारणों के चलते उन्हीं समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इनके परिणाम भी वही हैं जो साल 2014 में थे।
ये सब एक दिखावा है
डॉ कुमार ने फॉगिंग मशीनों और कुछ गतिविधियों पर अस्थाई प्रतिबंध की आलोचना करते हुए इन्हें अप्रभावी बताया। उन्होंने कहा कि ये सब एक दिखावा है, क्योंकि आप पराली जलाने सहित दूसरे पलूशन बढ़ाने वाली गतिविधियों को बढ़ावा देने देते हैं। आप बस इस बात का इंतजार करते हैं कि एक्यूआई लेवल 400 पार हो जाए, उसके बाद हम कदम उठाएंगे। फिर आप स्कूल बंद कर देते हैं, निर्माण कार्यों को रोक देते हैं और सभी गतिविधियों को रोक देते हैं। मैं यह समझने में असफल हूं कि क्या ये समाधान है।
बच्चों से लेकर बड़े सभी खांस रहे
उन्होंने इस तरह की हवा में सांस लेने से लोगों को होने वाली गंभीर बीमारियों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि जब आप इस तरह की हवा में सांस लेते हैं तो आपका गला घुटने लग जाता है। इस समय दिल्ली के अस्पतालों के आईसीयू बार्डों में निमोनिया के हर तरह के मरीज हैं। आप बाल रोग विशेषज्ञों को देख लीजिए उनके क्लीनिक ऐसे बच्चों से भरे पड़े हैं जिन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही है। आप किसी भी घर में चले जाइए बच्चों से लेकर बड़े सभी खांस रहे हैं। इसका लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है।
आज दिल्ली में वायू गुणवत्ता की स्थिति
वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान एवं अनुसंधान प्रणाली (सफर)-भारत के आंकड़ों के अनुसार, आज सुबह 9 बजे तक दिल्ली में कुल वायु गुणवत्ता 349 दर्ज की गई। यह 'बहुत खराब' श्रेणी में आती है। '200 से 300' के बीच एक्यूआई को 'खराब', '301 से 400' के बीच 'बहुत खराब', '401-450' के बीच 'गंभीर' और 450 और उससे अधिक को 'गंभीर प्लस' माना जाता है।