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आजीवन कारावास खत्म करें; आसाराम ने लगाई गुहार, SC ने गुजरात हाईकोर्ट से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जेल में बंद 'स्वयंभू' धर्मगुरु आसाराम की याचिका पर गुजरात सरकार से जवाब मांगा है। इस याचिका में 2013 के रेप मामले में निचली अदालत द्वारा उसे दी गई आजीवन कारावास की सजा को निलंबित करने की मांग की गई है।

Sneha Baluni नई दिल्ली। पीटीआईFri, 22 Nov 2024 01:41 PM
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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जेल में बंद 'स्वयंभू' धर्मगुरु आसाराम की याचिका पर गुजरात सरकार से जवाब मांगा है। इस याचिका में 2013 के रेप मामले में निचली अदालत द्वारा उसे दी गई आजीवन कारावास की सजा को निलंबित करने की मांग की गई है। जस्टिस एम एम सुंदरेश और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने आसाराम की ओर से पेश हुए वकील से कहा कि वह इस मुद्दे पर तभी विचार करेंगे जब इसके पीछे कोई चिकित्सकीय (मेडिकल) आधार होगा।

पीठ ने मामले की सुनवाई 13 दिसंबर के लिए निर्धारित करते हुए कहा, 'हम नोटिस जारी करेंगे, लेकिन हम केवल मेडिकल आधार पर विचार करेंगे।' गुजरात हाईकोर्ट ने 29 अगस्त को आसाराम की गांधीनगर अदालत द्वारा दी गई आजीवन कारावास की सजा को 2023 में निलंबित करने की याचिका को खारिज कर दिया था। सजा को निलंबित करने और उसे जमानत देने से इनकार करते हुए, हाईकोर्ट ने कहा था कि राहत का कोई मामला नहीं बनता है।

जनवरी 2023 में सेशंस कोर्ट ने आसाराम को 2013 के रेप मामले में दोषी ठहराया था। यह केस गांधीनगर के पास उनके आश्रम में रहने वाली एक महिला द्वारा दायर किया गया था। आसाराम वर्तमान में एक अन्य रेप मामले में राजस्थान की जोधपुर जेल में बंद है। हाईकोर्ट ने नोट किया था कि उसकी अपील के निपटान में संभावित देरी, उसकी उम्र और मेडिकल स्थिति के बारे में उसकी दलीलें राहत देने के लिए प्रासंगिक नहीं हैं।

अदालत ने साबरमती आश्रम में दो लड़कों की कथित हत्या और गवाहों तथा पीड़ितों के रिश्तेदारों पर हमलों सहित पूर्व की घटनाओं पर भी विचार किया था। अदालत ने कहा था, 'इस स्तर पर, परिस्थितियों पर विचार करते हुए, अपील में संभावित देरी और मेडिकल बीमारी के आधार पर, साथ ही जेल में दस साल की सजा पूरी करने के आधार पर, हमारे विचार में, जमानत के निलंबन की प्रार्थना पर विचार करना प्रासंगिक नहीं हो सकता।'

आसाराम ने याचिका में कहा है कि वह साजिश का हुआ और उसपर लगा रेप का आरोप झूठा था। निचली अदालत ने शिकायत दर्ज कराने में 12 साल की देरी के लिए पीड़िता के स्पष्टीकरण को स्वीकार करते हुए गलती की। जोधपुर में रेप के एक मामले में सजा के खिलाफ उसकी अपील राजस्थान हाईकोर्ट में लंबित है। इस मामले में सजा के निलंबन के लिए आसाराम की याचिका को राजस्थान हाईकोर्ट ने इस साल जनवरी में खारिज कर दिया था।

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