पराली जलाने में कमी लेकिन प्रदूषण से हाल बेहाल, आगे क्या रहेगा हाल?
केंद्र सरकार ने दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर पराली जलाने वाले किसानों के लिए जुर्माने की राशि दोगुनी कर दी थी।
दिल्ली में लोगों को अभी भी प्रदूषण से राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। आज भी राजधानी के कई इलाकों में एक एक्यूआई 350 के पार दर्ज किया गया है जिससे हवा की गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में बनी हुई है। प्रदूषण के चलते विजिबिलिटी भी काफी कम हो गई है। मौसम विभाग के मुताबिक सुबह 9:30 बजे के आसपास सफदरजंग में विजिबिलिटी 800 मीटर दर्ज की गई थी, जो सुबह 10 बजे तक मामूली सुधार के साथ 1,000 मीटर पर पहुंच गई। वहीं 11:30 बजे तक यह बढ़कर 1,200 मीटर हो गई थी।
दिल्ली के जिन इलाकों में प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है उनमें वजीपुर, रोहिणी और जहांगिरपुरी जैसे इलाके शामिल है। वजीपुर में एक्यूआई 431 दर्ज किया गया जबति रोहिणी और जंहागिरपुरी में एक्यूआई 434 दर्ज किया गया। इसके अलावा बवाना में भी 430 एक्यूआई दर्ज किया गया था। बढ़ते प्रदूषण के बीच केंद्र की निर्णय सहायता प्रणाली (डीएसएस) के मुताबिक, दिल्ली के प्रदूषण स्तर में पराली जलाने के योगदान में गुरुवार को कमी देखी गई। सोमवार से बुधवार तक योगदान 20 फीसदी से ज्यादा था जबकि गुरुवार को यह घटकर 17.8% हो गया। AQEWS आने वावे दिनों में एक्यूआई बहुत खराब श्रेणी में रहने की आशंकता जताई है।
AQEWS ने कहा, शुक्रवार को पूरे दिन एयर क्वालिटी 'बहुत खराब' श्रेणी में रह सकती है और शनिवार से सोमवार तक इसी श्रेणी में रहने की संभावना है। अगले छह दिन हवा की गुणवत्ता 'बहुत खराब' श्रेणी में होने की संभावना है।
पराली जलाने पर बढ़ाया था जुर्माना
इससे पहले केंद्र सरकार ने दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर पराली जलाने वाले किसानों के लिए जुर्माने की राशि दोगुनी कर दी थी। पांच एकड़ से अधिक कृषि भूमि वाले किसानों के लिए पराली जलाने पर अब जुर्माना 30,000 रुपये तक हो गया है।
बुधवार को प्रकाशित अधिसूचना के अनुसार, दो एकड़ से कम भूमि वाले किसानों को अब पराली जलाने पर 2,500 रुपये की जगह 5,000 रुपये का जुर्माना देना होगा। वहीं दो से पांच एकड़ के बीच भूमि वाले किसानों पर 5,000 रुपये के बजाय 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
गाड़ियों से निकलने वाले धुएं, धान की पराली जलाने, पटाखों और अन्य स्थानीय प्रदूषण स्रोतों के साथ प्रतिकूल मौसम संबंधी परिस्थितियों के चलते शरद ऋतु के अंत में और सर्दियों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता का स्तर बेहद खतरनाक हो जाता है।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के विश्लेषण के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी में एक से 15 नवंबर तक प्रदूषण चरम पर होता है जब पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने भी कड़ा रुख जाहिर किया था।
भाषा से इनपुट