सत्येंद्र जैन को एस्ट्रोलॉजी के लिए नोबल मिलना चाहिए, कोर्ट ने वकील में क्यों दी ऐसी दलील
अदालत में सत्येंद्र जैन के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, 'ऐसा इसलिए क्योंकि वो उस वक्त जानते थे कि भविष्य में एक पार्टी बनेगी, वो राजनीति में आंगे, एक चुनाव जीतेंगे, मंत्री बनेंगे।'
अगर सत्येंद्र जैन ने साल 2010 में मनी लॉन्ड्रिंग की साजिश रची तब तो उन्हें एस्ट्रोलॉजी का नोबिल दिया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में AAP नेता सत्येंद्र जैन के बचाव में अपनी तरफ से यह दलील रखी है। सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट में है और इसपर बुधवार को दोनों ही पक्षों की तरफ से जबरदस्त दलीलें दी गई हैं। अदालत में जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मित्थल की बेंच ने सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका पर फिलहाल फैसला सुरक्षित रखा है। अदालत में सत्येंद्र जैन के वकील अभिषेक मनु सिंघवी और ईडी की तरफ से मौजूद एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने जमानत पर फैसला सुरक्षित रखा।
सत्येंद्र जैन की तरफ से दलीलें पेश करते हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, 'ईडी ने आरोप लगाया है कि सत्येंद्र जैन ने साल 2010 में साजिश रची। तब तो उन्हें एस्ट्रोलॉजी का नोबल पुरस्कार या फिर कुछ अन्य विशेष पुरस्कार दिया जाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि वो उस वक्त जानते थे कि भविष्य में एक पार्टी बनेगी, वो राजनीति में आंगे, एक चुनाव जीतेंगे, मंत्री बनेंगे और फिर अचल संपत्ति जुटा लेंगे। उन्हें सर्व-ज्ञान था तो उन्हें इस हालात से नहीं गुजरना चाहिए था।'
अदालत में मौजूद ASG राजू ने अपनी दलील रखते हुए विस्तार से बताया कि सत्येंद्र जैन कैसे इस केस में शामिल हैं। उन्होंने दलील देते हुए कहा, ऊंचे प्रीमियर पर शेयर जारी किए गए थे। इन्हें वापस कंपनी के नाम पर काफी कम पैसों में खरीदा गया। बाद में इसे अंकुश और वैभव को ट्रांसफर कर दिया गया। हालांकि, सिंघवी ने इन दलीलों का विरोध किया।
सत्येंद्र जैन के वकील ने कहा, 'मैं एक साल के लिए आया। यह केस साल 2017 में दर्ज हुआ और मुझे पांच साल बाद गिरफ्तार किया गया। वो जानते हैं कि यहां तक कि शेयरहोल्डिंग को लेकर चार्जशीट में भी कोई केस नहीं है। बाद में उन्होंने डायरेक्टरशिप इसमें जोड़ा। उन्होंने अपने हिसाब से नियंत्रण किया क्योंकि उनको मालूम है कि वो शेयरहोल्डिंग के आधार पर केस नहीं कर सकते हैं।'
सिंघवी ने आगे कहा कि यह एक अजीब मामला है जहां जांच एजेंसी एक इंकट टैक्स से जुड़े केस को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में बदलना चाहती है। जहां तक ईडी के 4 करोड़ औऱ सीबीआई के द्वारा 1 करोड़ रुपये पर सवाल उठाने का मामला है तो यह एक अजीब मामला है क्योंकि ये चारों लोग इसके मालिक हैं और कह रहे हैं कि यह पैसा उनका है, उनका शेयर है। लेकिन इसे नजरअंदाज कर ईडी यह कह रही है कि इसका वास्तविक नियंत्रण सत्येंद्र जैन के पास है।
पैसे किसके नियंत्रण में थे?
यह कैश किसके नियंत्रण में थे? इसपर सिंघवी ने अदालत की बेंच से कहा, जेपी मोहता के सीए के बयान से पता चलता है कि उन्होंने कभी कैश नहीं लिए। उन्होंने यह भी कहा कि सुनील कुमार जैन और वैभव जैन ने उसने संपर्क किया था। शेयर उनको गया, पैसे उनको गए तो फिर आखिर इसे कैसे सत्येंद्र जैन से जोड़ा जा रहा है?