भगवान श्रीकृष्ण और महाभारत काल से नल्हड़ महादेव मंदिर का क्या कनेक्शन? नूंह हिंसा से सुर्खियों में आया
नूंह के नल्हड़ महादेव मंदिर (Nalhar Mahadev Temple) का कनेक्शन महाभारत काल से है। स्थानीय लोगों की मानें तो ऐसा कहा जाता है कि यहीं श्रीकृष्ण ने पवित्र शिवलिंग की स्थापना की थी।
नूंह के नल्हड़ महादेव मंदिर का कनेक्शन महाभारत काल से है। हर साल इस मंदिर में कई बड़े धार्मिक आयोजन होते हैं और यात्राएं निकलती हैं। ये यात्राएं इसी मंदिर से प्रारंभ होकर सिंगार पुन्हाना के श्रीराधा कृष्ण मंदिर में संपन्न होती हैं। इन दोनों स्थानों का महत्व श्रीकृष्ण के नाम के साथ जुड़ा हुआ है। शिक्षाविद् डॉ. पवन सिंह बताते हैं कि मेवात कि धरती भगवान श्रीकृष्ण की भूमि है, यह उनकी क्रीड़ास्थली रही है।
स्थानीय लोगों की मानें तो ऐसा कहा जाता है कि यहीं श्रीकृष्ण ने पवित्र शिवलिंग की स्थापना की थी। इसी स्थान पर उन्होंने कौरवों और पांडवों के मध्य संधि करवाने का प्रयास किया था। सिंगार का श्रीराधा कृष्ण मंदिर को वह स्थान माना जाता है, जहां पर वहां के लोगों ने श्रीकृष्ण के बाल्यकाल में उनका शृंगार किया था। इसलिए इसका नाम सिंगार मंदिर पड़ा।
पुन्हाना का नाम भी भगवान पुन आना के आधार पर रखा गया है। यहां फिरोजपुर झिरका में स्थित झीर महादेव मंदिर भी वही स्थान है, जहां पांडवों ने अज्ञातवास का समय बिताया था, इसलिए मेवात के कण-कण में भगवान श्रीकृष्ण के होने का अहसास को महसूस किया जा सकता है। नूंह जिले के प्राचीन धार्मिक स्थल भाईचारे की धरोहर के रूप माने जाते हैं।
पिछले साल बिगड़ गया था सौहार्द्र
नूंह में गत वर्ष 31 जुलाई को बृजमंडल यात्रा के दौरान हिंसा भड़क गई थी। इस दौरान उपद्रपियों ने यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं पर छतों पर चढ़कर पथराव कर दिया था। इसके बाद हिंसा की आग सोहना समेत अन्य स्थानों पर फैल गई। हालात ऐसे हो गए थे कि जब तक दूसरे जिलों से पुलिस नहीं पहुंची, नूंह जलता रहा। इस दौरान करीब 6 घंटे में उपद्रवियों ने 100 से अधिक वाहनों को आग के हवाले कर दिया। साइबर थाना समेत दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, दिल्ली-अलवर हाईवे स्थानों पर तोड़फोड़ और आगजनी की गई। हिंसा में दो होम गार्ड समेत छह लोगों (दो गुरुग्राम) की मौत हो गई थी। वहीं, सोहना के आंबेडकर बाईपास चौक पर भी शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने वाले विभिन्न हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ताओं पर अचानक से पथराव हो गया था। चौक पर गोलियां चलने पर हिंसा अधिक बढ़ गई थी। इस दौरान आठ दुकानों में आग लगा दी थी।
आंबेडकर चौक पर एक माह तक बंद रही दुकानें आंबेडकर चौक पर पुलिस और प्रशासन को शांति-व्यवस्था को फिर से बनाए रखने में काफी समय लगा था। जिन मकान व दुकानों में पथराव और आग लगा दी थी उन्हें फिर से स्थापित करने में एक से डेढ़ माह का समय लगा था।