दो टूक : खरीददार बोले- जेपी 10 हजार करोड़ रुपये जमा कराए तभी केस वापसी
जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (जेआईएल) के प्रोमोटर मनोज गौड़ ने घर खरीददारों को प्रस्ताव दिया है कि अगर वे मुकदमे वापस ले लें तो वह घर बनाकर देना चाहते हैं। बैंक भी आर्थिक मदद देने के लिए तैयार है। हालांकि,...
जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (जेआईएल) के प्रोमोटर मनोज गौड़ ने घर खरीददारों को प्रस्ताव दिया है कि अगर वे मुकदमे वापस ले लें तो वह घर बनाकर देना चाहते हैं। बैंक भी आर्थिक मदद देने के लिए तैयार है। हालांकि, खरीददारों का कहना है कि पहले बैंक खाते में 10 हजार करोड़ रुपये जमा करवाएं, उसके बाद बातचीत होगी।
मनोज गौड़ ने शुक्रवार को सेक्टर-62 स्थित जेपी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में घर खरीददारों की बैठक बुलाई है। इस संबंध में सभी खरीददारों को ई-मेल भेजे गए हैं। खरीददारों ने मनोज गौड़ की पहल को खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि गौड़ नहीं चाहते कि एनबीसीसी अटकी परियोजनाओं पर कब्जा लेकर काम शुरू करे। सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी और जेपी अमन खरीदार एसोसिएशन के अध्यक्ष एसके नागरथ ने कहा कि मनोज गौड़ सेक्टर-62 में बैठक बुला रहे हैं। वह घर खरीददारों को प्रभावित करके उनका समर्थन चाहते हैं।
वह चाहते हैं कि खरीददार सुप्रीम कोर्ट, कंज्यूमर कोर्ट और अन्य फोरम में दायर मामलों को वापस ले लें। उन्होंने जेएएल की मदद से जेआईएल को संभालने की योजना बनाई है। लेकिन वह यह काम नहीं करेंगे क्योंकि उन्होंने घर खरीददारों, अस्पतालों और अन्य परियोजनाओं से एकत्र धन को डायवर्ट किया है। हम उन पर फिर से कैसे भरोसा कर सकते हैं?सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी और घर खरीददार कृष्ण मितरो ने कहा कि हमने बैठक में कड़ा विरोध करने का फैसला किया है क्योंकि मनोज गौड़ का इरादा हमारे हित में नहीं है। जेपी एसोसिएट ने कॉपोरेट इंसॉल्वेंसी का सामना कर रही जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड के लिए अपनी बोली में 10 हजार करोड़ रुपये देने की पेशकश की थी जिसे कोर्ट ने ठुकरा दिया था। हम पूछते हैं कि अगर उनके पास यह पैसा था तो वह पहले कर्ज क्यों नहीं चुका पाए। हमने 10 वर्ष पहले इन परियोजनाओं में अपनी कमाई का निवेश किया था। लेकिन मनोज गौड़ अभी भी हमें बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहे हैं। कृष्ण मितरो आगे कहते हैं कि हमें हमारे घर देने की नीयत रखते हैं तो एस्क्रो खाते में कम से कम 10 हजार करोड़ रुपये दिखाएं।
सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमे चलाने की मंजूरी दी थी
जेएएल की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने घर खरीददारों को उपभोक्ता मामलों में न्याय पाने के लिए मुकदमे जारी रखने की अनुमति दी थी। कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका के माध्यम से उपभोक्ता अदालतों में चल रहे मुकदमों को रोकना चाहा था। एक अन्य खरीदार अमन कुमार का कहना है कि हमने फ्लैटों के निर्माण करने के लिए जेपी समूह को दस साल दिए। अब हम जल्द से जल्द जेपी ग्रुप से छुटकारा पाना चाहते हैं। हम बैठक में मनोज गौड़ का विरोध करेंगे।
खरीददार घर के लिए परेशान
जेपी इंफ्राटेक ने 2007 में नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे के साथ-साथ सेक्टर 128, 129, 131, 133 और 134 में इंटीग्रेटेड विश टाउन प्रोजेक्ट में 32,000 फ्लैट और कुछ प्लॉट बनाने का प्रस्ताव दिया था। 165 किलोमीटर लंबे यमुना एक्सप्रेस वे और फॉर्मूला वन सर्किट को विकसित करने वाले जेपी इंफ्राटेक ने 2011-12 से फ्लैटों की डिलीवरी का वादा किया था। लगभग 12,000 फ्लैट और भूखंड वितरित किए हैं। लेकिन कंपनी विश टाउन और जेपी अमन परियोजनाओं में लगभग 20,000 फ्लैट देने में विफल रही।
एनबीसीसी काम करने को तैयार
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर केंद्र सरकार की एजेंसी एनबीसीसी ने जेपी के अटके प्रोजेक्ट का सर्वे पूरा कर लिया है। कार्यकारी निदेशक योगेश शर्मा का कहना है कि बोली प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रस्ताव तैयार है। 25 अप्रैल को एनबीसीसी बोली लगाएगी।