सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना की वैधता पर दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला आज, दिसंबर में पूरी हो चुकी है सुनवाई
पिछले साल लागू की गई अग्निपथ योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दिल्ली हाई कोर्ट आज फैसला सुनाएगा। 15 दिसंबर को सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसला रिजर्व रख लिया गया था।
सेना में भर्ती के लिए लागू की गई अग्निपथ योजना की वैधता पर आज दिल्ली उच्च न्यायलय फैसला सुनाएगा। केंद्र सरकार द्वारा घोषित की गई नई भर्ती प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर हाई कोर्ट आज निर्णय देगा। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ कुछ पिछले विज्ञापनों के तहत सशस्त्र बलों की भर्ती प्रक्रियाओं से संबंधित याचिकाओं पर भी अपना फैसला सुनाएगी। अदालत ने पिछले साल 15 दिसंबर को याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करते हुए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। मामले से संबंधी याचिकाकार्तओं और सरकार को शीतकालीन अवकाश से पहले 23 दिसंबर तक अदालत में अपना पक्ष लिखित में दर्ज करने के लिए कहा था।
बता दें, पिछले साल 14 जून को अग्निपथ योजना के नाम से सशस्त्र बलों में युवाओं की भर्ती के लिए नया तरीका अपनाया गया है। योजना में पहले साढ़े 17 से 21 वर्ष की आयु के लोग आवेदन करने के पात्र थे और उन्हें चार साल के कार्यकाल के लिए शामिल किया जाएगा। उनमें से 25 प्रतिशत को बाद में रेगुलर सर्विस में रखा जाएगा। योजना के अनावरण के बाद, योजना के खिलाफ कई राज्यों में विरोध शुरू हो गया। बाद में, सरकार ने 2022 में भर्ती के लिए ऊपरी आयु सीमा को बढ़ाकर 23 वर्ष कर दिया था।
19 जुलाई, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया था। शीर्ष अदालत ने केरल, पंजाब और हरियाणा, पटना और उत्तराखंड के उच्च न्यायालयों से भी कहा था कि वे अपने समक्ष लंबित अग्निपथ योजना के खिलाफ जनहित याचिकाओं को दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करें या दिल्ली उच्च न्यायलय के निर्णय दिए जाने तक इसे लंबित रखें।
पिछले साल अगस्त में, उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने अग्निपथ योजना को रोकने से इनकार कर दिया था और अग्निपथ भर्ती योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह पर अपना जवाब दाखिल करने का समय दिया था। अदालत ने कहा था कि वह अंतरिम आदेश पारित करने के बजाय मामले की अंतिम सुनवाई करेगी। वहीं, अक्टूबर 2022 में, केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि सेना में भर्ती राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा किया जाने वाला एक आवश्यक संप्रभु कार्य है, जिसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है।
केंद्र सरकार की तरफ से कोर्ट में कहा गया था कि सेना में भर्ती प्रक्रिया में बदलाव वैश्विक सैन्य युद्ध में "समुद्री परिवर्तन" के संदर्भ में आवश्यक थे। केंद्र सरकार ने तर्क दिया था कि अग्निपथ योजना हमारे राष्ट्र की जरूरतों को पूरा करने और बदलते सामरिक दृष्टिकोण के लिहाज से विशेषज्ञों द्वारा व्यापक चर्चा के बाद तैयार की गई है।
केंद्र सरकार की तरफ से एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने अदालत को बताया कि अग्निपथ स्कीम समय के अनुरूप आवश्यकता है। एएसजी ने तर्क दिया कि सरकार ने इस योजना को शुरू करने के लिए एक नीतिगत निर्णय लिया है, जो संबंधित सेवाओं में समान रूप से किया गया है।
केंद्र सरकार के पक्ष का विरोध करते हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश हुए। उन्होंने कहा कुछ भर्तियां दो साल बीत जाने के बावजूद अग्निपथ प्रक्रिया के कारण फाइनल नहीं हो सकी। सरकार ने जून 2021 में सभी भर्तियों को नहीं रोका और कुछ भर्ती प्रक्रियाएँ अगस्त 2021 और फरवरी 2022 में भी आयोजित की गईं।
याचिका पर सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसले को रिजर्व रख लिया था। आज दिल्ली उच्च न्यायलय अपना अंतिम निर्णय सुनाएगा। इसी के साथ कई अन्य हाई कोर्ट में लंबित याचिकाओं पर निर्णय हो जाएगा।