समलैंगिक विवाह को मंजूरी देने की मांग पर जवाब देने के लिए सरकार को आखिरी मौका
हिंदू विवाह कानून और विशेष विवाह कानून के तहत समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) को मान्यता देने की मांग पर जवाब दाखिल नहीं किए जाने पर दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने शुक्रवार को केंद्र...
हिंदू विवाह कानून और विशेष विवाह कानून के तहत समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) को मान्यता देने की मांग पर जवाब दाखिल नहीं किए जाने पर दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने शुक्रवार को केंद्र और दिल्ली सरकार को आड़े हाथ लिया। इसके साथ ही कोर्ट ने दोनों सरकारों को जवाब दाखिल करने के लिए आखिरी मौका दिया है। हाईकोर्ट ने समलैंगिक विवाह को मंजूरी देने की अलग-अलग याचिकाओं पर विचार करते हुए 19 नवंबर, 2020 को केंद्र व दिल्ली सरकार से 4 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा था।
जस्टिस राजीव सहाय एंडलॉ, जस्टिस संजीव नरूला और जस्टिस आशा मेनन की बेंच ने दोनों सरकारों से कहा कि हम आपको जवाब देने के लिए आखिरी मौका दे रहे हैं। बेंच ने केंद्र व दिल्ली सरकार को 3 सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल कर जवाब देने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 25 फरवरी तय की है। इससे पहले केंद्र सरकार के वकील ने जवाब दाखिल करने के लिए वक्त देने की मांग की। याचिका में कहा गया है कि समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद समलैंगिक जोड़ों के बीच विवाह संभव नहीं हो पा रहा है।
हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दो महिलाओं ने आपस में विवाह को मंजूरी देने की मांग की है। पिछले आठ साल से साथ रह रहीं दोनों महिलाओं ने याचिका में कहा है कि वे एक दूसरे से प्यार करती हैं और साथ मिलकर जीवन में उतार-चढ़ाव का सामना कर रही हैं। उन्होंने कालकाजी के एसडीएम को कानून के तहत उनका विवाह पंजीकृत करने का आदेश देने की भी मांग की है।
इसके अलावा हाईकोर्ट में उस याचिका पर भी सुनवाई हो रही है जिसमें एक समलैंगिक पुरुष जोड़े ने शादी की पंजीकरण करने का आदेश देने की मांग की है। दोनों ने अमेरिका में विवाह किया था, लेकिन समलैंगिक होने के कारण भारतीय वाणिज्य दूतावास ने विदेशी विवाह अधिनियम, 1969 के तहत उनकी शादी का पंजीकरण नहीं किया।