अबूबकर रिहा हुआ तो कोई उसके खिलाफ गवाही नहीं देगा, NIA की दलील; PFI मेंबर की याचिका खारिज
Popular Front of India (PFI) के कई सदस्यों औऱ नेताओं को गिरफ्तार किया गया था। इसी दौरान जांच टीम ने अबूबकर को भी पकड़ा था। पीएफआई पर देश की अखंडता और एकता को तोड़ने का प्रयास करने का आरोप है।
प्रतिबंध संगठन Popular Front of India (PFI) के नेता अबूबकर को दिल्ली हाई कोर्ट से जबरदस्त झटका लगा है। दिल्ली हाई कोर्ट पीएफआई सदस्य अबूबकर की जमानत याचिका खारिज हो गई है। कुछ समय पहले देश भर में पीएफआई के खिलाफ अभियान चलाया गया था। जिसके बाद पीएफआई के कई सदस्यों औऱ नेताओं को गिरफ्तार किया गया था। इसी दौरान जांच टीम ने अबूबकर को भी पकड़ा था। पीएफआई पर देश की अखंडता और एकता को तोड़ने का प्रयास करने का आरोप है।
अबूबकर पर Unlawful Activities (Prevention) Act (UAPA) के तहत केस दर्ज किया गया था। अदालत में सुरेश कुमार केत और मनोज जैन की खंडपीठ ने अबूबकर की जमानत याचिका खारिज की थी। पीएफआई और उसके सदस्यों पर आरोप है कि उन्होंने पूरे देश में आतंकवाद फैलाने के लिए फंड जुटाने की खातिर आपराधिक साजिश रची। यह भी आरोप है कि वो ट्रेनिंग कैंप आयोजित कराते थे ताकि कैडर के सदस्यों को देश के खिलाफ इस्तेमाल कर सकें। 28 सितंबर, 2022 को केंद्र सरकार ने पीएफआई पर बैन लगा दिया था।
जमानत हासिल करने के लिए अबूबकर ने कोर्ट में दलील दी थी कि वो 70 साल का है और उसे कैंसर है। उसने कहा था कि कस्टडी में रहने के दौरान वो कई बार एम्स भी जा चुका है। NIA ने अबूबकर की याचिका का विरोध किया और कहा कि इस बात के सबूत है कि अवैध गतिविधियों संचालित करने के लिए कैडरों को प्रशिक्षण दिया जाता था। एनआईए ने आगे कहा है कि अबूबकर के खिलाफ कई केस हैं और अगर वो रिहा हुआ तो कई भी उसके खिलाफ गवाही नहीं देगा।
अदालत में अबूबकर ने यह भी कहा कि एनआईए के पास ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे उसपर यूएपीए के तहत केस दर्ज हो सके। NIA के नेतृत्व में कई एजेंसियों ने पीएफआई पर शिकंजा कसा था। 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पीएफआई पर ताबड़तोड़ कार्रवाई हुई थी और यह बात सामने आई थी कि यह आतंकवादी संगठनों के संपर्क में है।जांच टीम ने केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, असम, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान में पीएफआई के खिलाफ छापेमारी की थी।