जेल गए केजरीवाल का अब छिन गया 'दाहिना हाथ', 17 साल पुराने केस की वजह से झटका
बिभव कुमार अपनी बर्खास्तगी के खिलाफ केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) में जाने की योजना बना रहे हैं। 'आप' की लीगल टीम इस बात पर मंथन कर रही है कि किस आधार पर उक्त आदेश को चुनौती दी जा सकती है।
नोएडा में दर्ज एक मुकदमे के आधार पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सचिव बिभव कुमार की सेवा समाप्त कर दी गई है। बर्खास्तगी आदेश में लिखा गया है कि वर्ष 2007 में नोएडा विकास प्राधिकरण में तैनात महेश पाल ने बिभव समेत तीन लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। लोक सेवक को धमकाने, सरकारी काम में बाधा डालने और मारने की धमकी देने की धाराओं में मामला पंजीकृत किया गया था। बिभव कुमार को मुख्यमंत्री के निजी सचिव के तौर पर 27 फरवरी 2015 को जारी आदेश पर तैनात किया गया था।
इसके बाद सरकार का कार्यकाल पूरा होने के बाद 14 फरवरी 2020 को कैबिनेट ने इस्तीफा दिया। नियमों के तहत इस दौरान बिभव कुमार का सेवाकाल भी समाप्त हो जाना चाहिए था, लेकिन मुख्यमंत्री चाहते थे कि बिभव कुमार उनके निजी सचिव के तौर पर सेवाएं देते रहें। इसके लिए मुख्यमंत्री ने कहा कि 16 फरवरी 2020 को उनका इस्तीफा मानते हुए 17 फरवरी 2020 से उनकी सेवा को आगे के लिए जारी रखा जाए। इसके बाद सेवा जारी रखी गईं, लेकिन साथ में यह शर्त भी जोड़ दी गई कि उनकी आगे की नियुक्ति न्यायालय के फैसले पर निर्भर करेगी। वहीं, शुरुआत में बिभव कुमार की निजी सचिव के तौर पर तैनाती के दौरान नियमानुसार सत्यापन नहीं कराया गया।
बर्खास्तगी को कोर्ट में चुनौती देंगे : आप
एएनआई के अनुसार, बिभव कुमार अपनी बर्खास्तगी के खिलाफ केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) में जाने की योजना बना रहे हैं। आम आदमी पार्टी की लीगल टीम ने गुरुवार को इस बारे में जानकारी दी। 'आप' की लीगल टीम इस बात पर मंथन कर रही है कि किस आधार पर उक्त आदेश को चुनौती दी जा सकती है। 'आप' की कानूनी टीम के मुताबिक, विभव द्वारा कैट के समक्ष उठाए जाने वाले प्रमुख पहलुओं में से एक इस आदेश का समय और सतर्कता के आदेश को असंवैधानिक करार देना है।