कूनों में चीतों की मौत परेशान करने वाला लेकिन चिंताजनक स्थिति नहीं, SC से बोला वन मंत्रालय
Kuno National Park : कूनो नेशनल पार्क में कुल 24 चीतों में से तीन शावकों समेत 8 चीतों की मौत हो चुकी है। रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि कुछ चीतों की मौत रेडियो कॉलर्स की वजह से इन्फेक्शन से हुई है।
कूनो नेशनल पार्क में 5 चीतों की मौत ने सभी को परेशान कर दिया है। इस बीच केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और नेशनल टाइगर कन्जर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि पांच एडल्ट चीतों और तीन शावकों की कूनो नेशनल पार्क में मौत परेशान करने वाला है लेकिन अनावश्यक रूप से चिंताजनक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट से कहा गया है कि कूनो में रह रहे चीतों पर ध्यान रखा जा रहा है और एहतियात के तौर पर उनका मेडिकल परीक्षण भी किया जा रहा है।
प्रोजेक्ट चीता के तहत कुल 20 रेडियो-कॉलर्ड जानवरों को साउथ अफ्रीका के नामीबिया से मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में लाया गया था। बाद में नामीबियाई चीता 'ज्वाला' ने चार चीतों को जन्म दिया। कुल 24 चीतों में से तीन शावकों समेत 8 चीतों की मौत हो चुकी है। रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि कुछ चीतों की मौत रेडियो कॉलर्स की वजह से इन्फेक्शन से हुई है।
सरकार की तरफ से संयुक्त एफिडेविट फाइल करते हुए मंत्रालय और एनटीसीए ने कहा कि चीतों की मौत की वजह प्राकृतिक है। इनमें से किसी भी चीते की मौत अप्राकृतिक वजहों से नहीं हुई है। किसी की मौत शिकार, फंसने, जहर, करंट लगने या सड़क पर किसी हादसे की वजह से नहीं हुई है। कूनो में किसी भी अनउपयुक्त कारणों की वजह से चीतों की मौत नहीं हुई है। एफिडेविट में बताया गया है कि सामान्य साइंटिफिक अवेयरनेस यह कहता है कि इकोसिस्टम का अभिन्न हिस्सा कहे जाने वाले चीतों खासकर एडल्ट चीतों में 50 प्रतिशत चीतों का सरवाइवल रेट काफी कम है।
NTCA ने अदालत को बताया कि 15 एडल्ट चीते और भारत में जन्मा एक शावक अभी भी वहां रह रहे हैं। अदालत को बताया गया कि वाइल्डलाइफ, वन, सोशल साइंड, इकोलॉजी, पशु विज्ञाऔ और अन्य विभागों की एक स्टेयरिंग कमेटी प्रोजेक्ट चीता पर काम कर रही है और इसे मॉनिटर भी कर रही है।