आज रेखा गुप्ता का राजतिलक, पहली बार DU से निकला कोई नेता बनेगा CM; अब तक कितने नेताओं ने बनाई पहचान
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ न केवल प्रदेश, बल्कि देश की राजनीति की पाठशाला कही जाती है। दिल्ली की भावी मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता डूसू में 1996 में छात्रसंघ अध्यक्ष रही थीं। डूसू से निकले कई छात्र नेता राजनीति के फलक पर अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहे हैं।
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दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ न केवल प्रदेश, बल्कि देश की राजनीति की पाठशाला कही जाती है। दिल्ली की भावी मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता डूसू में 1996 में छात्रसंघ अध्यक्ष रही थीं। डूसू से निकले कई छात्र नेता राजनीति के फलक पर अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहे हैं। पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल, कांग्रेस नेता अजय माकन, अल्का लांबा के अलावा अरविंदर सिंह लवली, अशोक चौधरी सहित कई नाम हैं।
अरुण जेटली बने थे केंद्रीय मंत्री
डूसू की शुरुआत वर्ष 1956 में हुई थी। तब से अब तक लगातार कई नेता राजनीति में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहे हैं। हालांकि यह अलग बात है कि अब तक डीयू छात्रसंघ से जुड़ा कोई नेता दिल्ली का मुख्यमंत्री नहीं बना था। एनएसयूआई की ओर से अजय माकन, सुभाष चोपड़ा, हरचरण सिंह जोश, हरिशंकर गुप्ता, अल्का लांबा, नीतू वर्मा, शालू मलिक और बहुत से छात्र नेताओं ने राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय रहे और कुछ अब भी हैं। वर्ष 1974 में एबीवीपी के टिकट से अरुण जेटली डूसू के अध्यक्ष बने थे और छात्र राजनीति के बाद वह भाजपा से होते हुए देश के वित्त मंत्री बने। इसी तरह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से वर्ष 1978 में डूसू अध्यक्ष रहे विजय गोयल ने केंद्रीय मंत्री बनने का सफर तय किया। विजय गोयल भी तीन बार लोकसभा व एक बार राज्यसभा सांसद रहें। इसके अलावा भाजपा संगठन में महत्वपूर्ण पदों पर भी रह चुके हैं। वह दिल्ली की राजनीति में भी सक्रिय रहे।
2001 में डूसू अध्यक्ष बनीं नीतू वर्मा ने दिल्ली नगर निगम में अपना झंडा गाड़ा जबकि 2008 में पूर्व अध्यक्ष अनिल चौधरी भी विधानसभा पहुंचे। एनएसयूआई से डूसू चुनाव जीते रॉकी तुसीद भी विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं। छात्र राजनीति में 1995 में एनएसयूआई के टिकट से डूसू अध्यक्ष बनीं अल्का लांबा आप से विधायक बनीं। डूसू अध्यक्ष रही रागिनी नायक इस समय कांग्रेस की नेता हैं और विभिन्न पदों पर रह चुकी हैं।
निगम ने भी सत्ता की गद्दी तक पहुंचाया
डीयू ही नहीं, दिल्ली नगर निगम से निकलकर भी कई नेताओं ने सत्ता की कुर्सी पाई है। तीन बार की पार्षद रहीं रेखा गुप्ता 2025 के विधानसभा चुनाव में शालीमार बाग से विधायक बनीं। इससे वर्ष 1993 से 1996 तक पहले पूर्व मुख्यमंत्री रहे मदन लाल खुराना नगर निगम की सत्ता में सक्रिय रहे। वर्ष 1965 से 1967 के दौरान जन संघ के महासचिव पद पर रहने के बाद निगम में वह चीफ व्हीप, कार्यकारी पार्षद रहे और वहां पर नेता विपक्ष भी रहे। भाजपा के वर्ष 1996 से 1998 के दौरान दूसरे पूर्व मुख्यमंत्री रहे साहिब सिंह वर्मा भी वर्ष 1977 में दिल्ली नगर निगम में पार्षद चुने गए। उस समय वह जनता पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर पार्षद का चुनाव जीते थे और बाद में फिर दोबारा भाजपा की टिकट पर पार्षद चुने गए थे।
अजय माकन भी बड़े पदों पर रहे
कांग्रेस के अजय माकन वर्ष 1986 में डूसू अध्यक्ष बने। वह न केवल विधायक बने बल्कि दिल्ली के मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, लोकसभा के दो बार के सांसद व केंद्र सरकार में भी रहें। वर्ष 1971 में डूसू अध्यक्ष बने सुभाष चोपड़ा ने भी विधानसभा तक का सफर तय किया। इसके बाद 1994 में अध्यक्ष रहीं शालू मलिक, 2001 में अध्यक्ष बनीं नीतू वर्मा ने डूसू की शुरुआत वर्ष 1956 में हुई थी। तब से अब तक लगातार डूसू से नेता निकले और देश की मुख्यधारा की राजनीति में जुड़ते रहे। इसी तरह एबीवीपी से वर्ष 1978 में डूसू अध्यक्ष रहें विजय गोयल ने केंद्रीय मंत्री बनने का सफर तय किया। विजय गोयल भी लोकसभा व राज्यसभा सांसद रहे। इसके अलावा भाजपा संगठन में महत्वपूर्ण पदों पर भी रह चुके हैं।