अंदर के पेज के लिए:::मुर्शिदाबाद हिंसा: पलायन करने वाले पीड़ितों ने बयां की दर्दनाक दास्तां
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा ने कई बेगुनाह लोगों को नुकसान पहुंचाया है। हमलावरों ने घरों में आग लगाई और दुकानों को तोड़ दिया। कई लोग पलायन कर मालदा में शरण लेने के लिए मजबूर हुए। पीड़ितों...

- हिंसा में किसी के घर में लगा दी आग - किसी की दुकान को तोड़ा
- सैकड़ों की आमदा भीड़ को सिहर उठे लोग
- मालदा में ले रखी है पलायन करने वाले लोगों ने शरण
कोलकाता, एजेंसी।
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में भड़की हिंसा ने बेकसूर लोगों को ऐसे जख्म दिए हैं, जिन्हें ताउम्र भरा नहीं जा सकता है। रविवार को पलायन करने वाले पीड़ितों ने दिल दहला देने वाली दास्तां सुनाई। इस हिंसा में किसी के घर में आग लगा दी गई, तो किसी की दुकान तोड़ दी गई। हथियारबंद सैकड़ों लोगों की भीड़ के दृश्य को याद कर लोग सहमे हुए हैं। पीड़ितों ने बताया कि सैकड़ों लोग चिल्लाते हुए आए और कहा कि हमारे समुदाय के किसी भी व्यक्ति को यहां रहने नहीं देंगे। किसी तरह से जान बचाकर लोग भागीरथ नदी पारकर मालदा में शरण ली।
1. बम फेंके और नए कानून के लिए हमें दोषी माना
अपने परिवार के चार अन्य सदस्यों के साथ पलायन करने वाली युवती ने बताया कि दंगाइयों ने घरों में आग लगा दी गई। वहीं कुछ बाहरी लोगों के एक समूह पहुंचे और महिलाओं और लड़कियों से छेड़छाड़ करने लगे। महिला ने दावा किया, उन्होंने हम पर बम फेंके और हमें वक्फ कानून के लिए दोषी ठहराया। इसके बाद हमें तुरंत अपने घर छोड़ने के लिए कहा। उन्होंने हमारे घर के पुरुषों को पीटा। हम अपनी जान को लेकर डरे हुए थे और केंद्रीय बलों की मदद से अपने घरों से भागे।
2. भागते नहीं तो मारे जाते
एक अन्य बुजुर्ग महिला ने कहा, अचानक लोग तेजी से दौड़ते और चिल्लाते हुए आने लगे। उन्होंने हथियार लहराते हुए धमकाना शुरू कर दिया। 'हमने हमलावरों से हाथ जोड़कर माफी मांगी, लेकिन वे कुछ नहीं सुने और मारने-पीटने लगे। किसी तरह मेरा बेटा, बहू और पोता अपना कुछ सामान लेकर भागे। अगर वहां से नहीं निकलते तो मारे जाते।
3. ऐसा हमला नहीं देखा
सुती में एक फॉर्मेसी के मालिक ने कहा कि वह यहां 50 साल से रह रहे हैं, लेकिन ऐसा नरसंहार कभी नहीं देखा। एक उन्मादी भीड़ अचानक मेरी दुकान की ओर मुड़ी और इससे पहले कि हम कुछ कर पाते, वे परिसर में घुस गए। हमें पीटा और दुकान लूटना शुरू कर दिया। जब उत्पात जारी रहा, तो हम मौके से भाग गए।
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