अदालत से:::: ‘बस बहुत हो गया, कोर्ट से न उलझें
सुप्रीम कोर्ट ने एक वकील को सख्त चेतावनी दी है जिसने महिला जजों की संख्या पर सवाल उठाया था। कोर्ट ने कहा कि यह दयनीय है और मामले में अंतिम निर्णय 29 नवंबर को सुनाया जाएगा। दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन...
- सुप्रीम कोर्ट में महिला जजों की संख्या पर टिप्पणी करने वाले वकील को सख्त चेतावनी नई दिल्ली, एजेंसी।
सुप्रीम कोर्ट ने एक वकील के इस दावे पर सख्त नाराजगी जताई जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में महिला जजों के पर्याप्त प्रतिनिधित्व की कमी पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि बहुत हो गया। कोर्ट से मत उलझें। यह दयनीय है।
जस्टिस सूर्यकांत और उज्जल भुइयां की पीठ दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (डीएचसीबीए) में महिला वकीलों के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इसी दौरान मामले में पेश एक वकील ने कहा कि हाईकोर्ट के वकील पूछ रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट में कितनी महिला जज हैं। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अगर आपको ये सब बातें कहकर दर्शकों को खुश करना है, तो कृपया इसे 10 बार कहें। आप आग में घी डाल रहे हैं। मीडिया को इसे सुनने दें। उन्होंने कहा कि बार का आचरण इस तरह का नहीं है। नाराज पीठ ने बार निकाय से कोई और स्पष्टीकरण सुनने से इनकार कर दिया। कहा कि अब हम इस मामले के बड़े मुद्दे पर विचार करेंगे और पर अंतिम रूप से निर्णय लेंगे। पीठ ने अंतिम बहस के लिए 29 नवंबर की तारीख तय की और कहा कि इसके बाद तीन दिनों में इस मुद्दे पर फैसला सुनाया जाएगा।
गुणवत्ता परखने के लिए देखा वीडियो
शीर्ष अदालत ने डीएचसीबीए अध्यक्ष मोहित माथुर द्वारा पेश किए गए बार निकाय में 33 प्रतिशत आरक्षण के मुद्दे पर आम सभा की बैठक में हुए विचार-विमर्श पर वीडियो क्लिप को देखा। शीर्ष अदालत को बताया गया कि उस बैठक में महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव पारित नहीं हुआ। अदालत ने विचार-विमर्श की गुणवत्ता परखने के लिए वीडियो देखने का आदेश दिया था। वहीं, याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि शीर्ष अदालत के निर्देश के बावजूद डीएचसीबीए संयुक्त कोषाध्यक्ष का पद देने की पेशकश कर रहा है, जो केवल एक औपचारिक पद है।
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