सिर्फ मनोरंजन के लिए ताश खेलना अनैतिक आचरण नहीं : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक में एक सहकारी समिति में एक व्यक्ति के निर्वाचन को बहाल किया। अदालत ने कहा कि सट्टेबाजी के बिना ताश खेलना अनैतिक नहीं है। हनुमंतरायप्पा पर बिना सुनवाई जुर्माना लगाया गया था।...

नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक में एक सहकारी समिति में एक व्यक्ति के निर्वाचन को बहाल करते हुए कहा कि सट्टेबाजी और जुए के तत्व के बिना मनोरंजन के लिए ताश खेलना अनैतिक आचरण नहीं है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने इस बात पर गौर किया कि गवर्नमेंट पोर्सिलेन फैक्टरी एम्प्लाइज हाउसिंग को-ऑपरेटिव सोसाइटी लि. के निदेशक मंडल में निर्वाचित हनुमंतरायप्पा वाईसी कुछ अन्य लोगों के साथ सड़क किनारे बैठकर ताश खेलते पकड़े गए। इसके बाद उनपर बिना किसी सुनवाई के कथित तौर पर 200 रुपये का जुर्माना लगाया गया। पीठ ने कहा कि वस्तुस्थिति को देखते हुए, हमें यह कहना कठिन लगता है कि अपीलकर्ता पर लगाया गया कदाचार का आरोप नैतिक पतन की श्रेणी में आता है।
वास्तव में, हमारे देश के अधिकांश भागों में, जुआ या शर्त के बिना, ताश खेलना, गरीब लोगों के मनोरंजन के स्रोत के रूप में स्वीकार किया जाता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि हनुमंतरायप्पा को सहकारी समिति के निदेशक मंडल में सर्वाधिक मतों से चुना गया था और उनके निर्वाचन को रद्द करने की सजा उनके द्वारा किए गए कथित कदाचार की प्रकृति के अनुपात में बेहद असंगत है। कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला खारिज पीठ ने 14 मई के अपने आदेश में कहा कि उपरोक्त कारणों से, हम इस बात से संतुष्ट हैं कि अपीलकर्ता के विरुद्ध की गई कार्रवाई को सही नहीं ठहराया जा सकता। इसलिए अपील स्वीकार की जाती है। न्यायालय ने सहकारी समिति के निदेशक पद से हनुमंतरायप्पा को हटाने के निर्णय को बरकरार रखने वाले कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया।
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