ब्यूरो: इरान हमला:: इजरायल-ईरान तनाव भारत के हित में भी नहीं
पूर्व विदेश सचिव शशांक ने चेतावनी दी है कि इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष से क्षेत्र में तनाव बढ़ सकता है, जिसका प्रभाव भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। भारत ईरान से तेल आयात करता है, और युद्ध की स्थिति...

नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। पूर्व विदेश सचिव शशांक का कहना है कि इजरायल का ईरान पर हमले के बाद पूरे क्षेत्र में तनाव भड़क सकता है। इजरायल और ईरान आपस में भिड़ेंगे तो इसका असर भारत और यहां की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है। ईरान-इजरायल जंग से समुद्री मार्ग से व्यापार पर असर पड़ सकता है। पूर्व विदेश सचिव का कहना है कि इजरायल ने ईरान में कई महत्वपूर्ण लोगों को मारा है लेकिन इससे ईरान की क्षमता कम नहीं हुई है। दोनों देशों के बीच तनातनी से भारत की शिपिंग कॉस्ट बढ़ सकती है। भारत करीब 85% कच्चा तेल आयात करता है, जंग से ईरान से तेल आयात पर असर पड़ सकता है।
लंबी जंग चलती है तो सोना-चांदी महंगा होगा। भारत ने 1992 में इजरायल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए थे। तब से दोनों देशों के बीच व्यापार काफी बढ़ा है। भारत के ईरान से भी अच्छे व्यापारिक रिश्ते रहे हैं, लेकिन बीते कुछ साल में भारत और ईरान के बीच व्यापार घटा है। भारत कच्चे तेल की अपनी जरूरत का कुछ हिस्सा ईरान से भी खरीदता है। हालांकि, ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच उससे भारत की तेल खरीद कम हुई है। बावजूद इसके भारत के लिए ईरान कूटनीतिक और रणनीतिक लिहाज से बहुत महत्त्वपूर्ण देश है। ईरान से भारत अपने संबंध कभी खराब नहीं करना चाहेगा। भारत अमूमन ऐसे मामलों में तटस्थ रहा है, उसने हमेशा इस क्षेत्र में तनाव कम करने पर जोर दिया है। प्रभावित हो सकती है आपूर्ति शृंखला जानकारों का यह भी कहना है कि भारत ईरान को कृषि वस्तुओं के उत्पाद, मीट, स्किम्ड मिल्क, छाछ, घी, प्याज, लहसुन और डिब्बाबंद सब्जियां निर्यात करता है। भारत ईरान से तेल, मिथाइल अल्कोहल, पेट्रोलियम पदार्थ, खजूर और बादाम आयात करता है। जंग के हालात में पूरी आपूर्ति शृंखला प्रभावित हो सकती है। पूर्व विदेश सचिव का कहना है कि ईरान और इजरायल तनाव के बाद पूरे पश्चिम एशिया क्षेत्र में तनाव बढ़ सकता है। भारत के हितों पर इसके असर को लेकर चिंता स्वाभाविक है। अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में कच्चा तेल महंगा होने की आशंका से भारत के ऑयल इम्पोर्ट बिल पर बोझ और बढ़ने की आशंका है, वहीं भारत के लिए विदेश नीति के मोर्चे पर चुनौतियां ज़्यादा बढ़ सकती हैं।
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