डूसू चुनाव में महिलाओं के आरक्षण पर जल्द फैसला लें डीयू : कोर्ट
कहा, अक्तूबर 2023 में विश्वविद्यालय प्राधिकारियों को दी याचिका पर कुलपति संभवत: तीन सप्ताह में फैसला लें।
नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति से आगामी छात्र संघ (डूसू) चुनाव में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की मांग करने वाली एक याचिका पर निर्णय लेने को कहा है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि अक्तूबर 2023 में विश्वविद्यालय प्राधिकारियों को दी याचिका पर कुलपति जल्द से जल्द और संभवत: तीन सप्ताह के भीतर कानून के अनुसार फैसला लें। याचिकाकर्ता शबाना हुसैन की तरफ से पेश वकील आशु बिधूड़ी ने कहा कि छात्र संघ चुनावों में धन और बल का बहुत ज्यादा प्रयोग होता है, जिसके परिणामस्वरूप महिलाओं की भागीदारी बहुत कम होती है। शबाना हुसैन ने कहा कि इन चिंताओं के मद्देनजर उन्होंने उच्च न्यायालय का रुख कर यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया कि 27 सितंबर को होने वाले छात्र संघ चुनाव में आरक्षण के जरिए महिलाओं का प्रतिनिधित्व हो। चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया 17 सितंबर को शुरू होनी है।
लैंगिक समानता की आवश्यकता
याचिकाकर्ता ने कहा कि छात्र संघ चुनाव में लैंगिक समानता की आवश्यकता है। उन्होंने विश्वविद्यालय को लिंगदोह समिति की सिफारिशों का पालन करने का निर्देश देने का अनुरोध किया। उच्चतम न्यायालय के एक आदेश के बाद केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने पूरे देश में विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्र निकायों और छात्र संघ चुनावों से संबंधित मुद्दों पर सिफारिशें करने के लिए पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त जे एम लिंगदोह की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। इस समिति ने 26 मई 2006 को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। याचिका में कहा गया है कि हालांकि अभी तक इसे लागू कर पाना संभव नहीं हो पाया है।
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