ओल्ड राजेन्द्र नगर मामला : बेसमेंट मालिकों की जमानत याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित
अदालत से - ओल्ड राजेन्द्र नगर में तीन छात्रों की मौत का मामला - सीबीआई
नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। दिल्ली उच्च न्यायालय ने ओल्ड राजेन्द्र नगर में आईएएस के तीन उम्मीदवारों की दुखद मौत के मामले में गुरुवार को एक बेसमेंट के चार सह-मालिकों की जमानत याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। बेसमेंट में भारी जलभराव के बाद उम्मीदवार डूब गए थे। न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा की पीठ ने फैसला सुरक्षित रखते हुए सीबीआई से इलाके में जलभराव के प्राथमिक कारणों और उस दिन की बारिश के आंकड़ों को संबोधित करते हुए एक स्थिति रिपोर्ट पेश करने को कहा है। हाल ही में सत्र अदालत ने चार सह-मालिकों को जमानत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि सह-मालिकों की देनदारी बेसमेंट को कोचिंग संस्थान के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति देने के उनके अवैध कृत्य से उपजी है।
उच्च न्यायालय में दायर उनकी जमानत याचिका में कहा गया है कि सत्र अदालत इस बात पर विचार करने में विफल रहा कि आवेदकों का नाम प्राथमिकी में नहीं था। इसके अतिरिक्त याचिका में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि सह-मालिकों ने स्वेच्छा से पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट की और जांच में सहयोग किया। जांच अधिकारी द्वारा नहीं बुलाए जाने के बावजूद अपनी ईमानदारी का प्रदर्शन किया। याचिका में यह भी कहा गया है कि सत्र अदालत ने इस सिद्धांत को नजरअंदाज कर दिया कि आपराधिक न्यायशास्त्र में प्रतिनिधि दायित्व लागू नहीं होता है।
पीठ ने करोल बाग निवासी व्यक्ति की गवाही पर भी विचार किया, जिसने पहले राव के आईएएस द्वारा बिना अनुमति के बेसमेंट में कक्षा चलाने के बारे में चिंता जताई थी। उसने घटना से एक महीने पहले संभावित बड़ी दुर्घटना की चेतावनी दी थी। पीठ ने पाया कि आरोपी जानते थे कि बेसमेंट के अवैध उपयोग की अनुमति देना लोगों की जान को खतरे में डाल रहा था।
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