Hindi Newsएनसीआर न्यूज़नई दिल्लीDelhi Government Waives GPS Tracking Fee for 1 50 Lakh Public Transport Operators

राहत : 1.5 लाख सार्वजनिक वाहन चालकों का जीपीएस ट्रैकिंग शुल्क माफ

- परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि अब वाहन ट्रैकिंग का काम भी डिम्ट्स के बजाए एनआईसी संभालेगा

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 29 Aug 2024 03:01 PM
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नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। दिल्ली सरकार ने सार्वजनिक वाहन संचालन से जुड़े 1.50 संचालकों को बड़ी राहत दी है। अब उन्हें अपने सार्वजनिक परिवहन वाहन के जीपीएस ट्रैकिंग के लिए सालाना 1200 रुपये का शुल्क नहीं देना होगा। परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि इन वाहनों का यह शुल्क माफ कर दिया गया है। इसके साथ ही अब वाहन ट्रैकिंग का काम भी डिम्ट्स (दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी मॉडल सिस्टम) के बजाए एनआईसी (नेशनल इनफॉरमेशन सेंटर) संभालेगा। बताते चले दिल्ली के सार्वजनिक परिवहन वाहनों में यात्रियों की सुरक्षा के लिए जीपीएस लगाना अनिवार्य है। दिल्ली सचिवालय में आयोजित पत्रकारवार्ता में कैलाश गहलोत ने कहा कि दिल्ली में बसों को छोड़ दे तो ऑटो, काली-पीली टैक्सी, फटफट सेवा, ग्रामीण सेवा समेत करीब 250 लाख वाहन सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में जुड़े हैं। यात्रियों की सुरक्षा के लिए इन वाहनों में जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) लगा होता है। वाहनों में लगे जीपीएस के जरिए ट्रैकिंग करने की जिम्मेदारी डिम्ट्स के पास काम था। इसके वाहनों से सालाना शुल्क वसूला जाता है। उन्होंने कहा कि ऑटो और काली पीली टैक्सी जिनकी संख्या करीब एक लाख है, उनका सालाना शुल्क 2019 में माफ कर दिया था।

उन्होंने कहा कि उसके अलावा दूसरे वाहन फटफट सेवा, ग्रामीण सेवा समेत अन्य वाहन भी है, जिन्हें अभी भी सालाना 1200 रुपये का सालाना शुल्क देना होता था। टैक्स समेत यह शुल्क 1416 रुपये बैठता था। अब केजरीवाल सरकार ने बचे हुए 1.50 लाख संचालकों को भी राहत देते हुए उनका यह शुल्क भी माफ कर दिया है। मसलन अब दिल्ली के सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में जुड़े 2.50 लाख वाहन संचालकों को सीधे राहत दी है। उन्होंने कहा कि अब डिम्ट्स के बजाए एनआईसी के साथ समझौता किया गया है। वहीं आगे से वाहनों के जीपीएस ट्रैकिंग का काम करेगी।

जेल में रहकर केजरीवाल को चालकों की चिंता

कैलाश गहलोत ने कहा कि जेल में रहकर भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्लीवालों की चिंता है। इसलिए वह जेल में रहते हुए भी दिल्ली का प्रशासन बेहतर तरीके से चला रहे है। उन्होंने पहले 2019 में ऑटो, काली-पीली टैक्सी चालकों को राहत दी है। अब वाहन ट्रैकिंग के नाम पर सालना 1200 रूपये देने वाले ग्रामीण सेवा, आरटीवी, फटफट सेवा संचालकों को भी राहत दी है। सार्वजनिक वाहन संचालकों की लंबित मांग को पूरा कर दिया है। इससे पता चलता है कि वे अंदर रहते हुए भी कितनी बेहतरीन तरीके से दिल्ली का प्रशासन चला रहे हैं और दिल्लीवासियों के बारे में सोच रहे हैं।

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