हर्बल दवाओं के नाम पर चल रही थी ठगी, 4 लड़कियों समेत 11 गिरफ्तार; गुरुग्राम में फर्जी कॉल सेंटर पकड़ा
हर्बल की दवाइयां ऑनलाइन बेचने के नाम पर ठगी करने वाले फर्जी कॉल सेंटर का गुरुग्राम साइबर थाना पुलिस ने भंडाफोड़ किया। जालसाजों द्वारा बीते 10 महीने से गांव डूंडाहेड़ा में फर्जी कॉल सेंटर चलाया जा रहा था। आरोपी दवा भेजने और सर्विस चार्ज के नाम पर ठगी को अंजाम देते थे।
हर्बल की दवाइयां ऑनलाइन बेचने के नाम पर ठगी करने वाले फर्जी कॉल सेंटर का गुरुग्राम साइबर थाना पुलिस ने भंडाफोड़ किया। जालसाजों द्वारा बीते 10 महीने से गांव डूंडाहेड़ा में फर्जी कॉल सेंटर चलाया जा रहा था। आरोपी दवा भेजने और सर्विस चार्ज के नाम पर ठगी को अंजाम देते थे। पुलिस ने छापेमारी करते हुए कॉल सेंटर में काम करने वाले चार युवतियों समेत 11 लोगों को गिरफ्तार किया। मौके से दो लैपटॉप, चार मोबाइल फोन और दवाइयां बरामद की गईं। पुलिस ने साइबर थाना पश्चिम में धारा 318, 319, 612 बीएनएस और 66डी आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
एसीपी साइबर प्रियांशु दीवान ने बताया कि गांव डूंडाहेड़ा में हर्बल की दवाइयां ऑनलाइन बेचने के नाम पर लोगों से धोखाधड़ी कर ठगी करने वाले फर्जी कॉल सेंटर की जानकारी मिली। इस पर उन्होंने पश्चिम साइबर थाना पुलिस को कार्रवाई करने के निर्देश दिए। टीम को एक मकान में कुछ लोग हर्बल दवाइयां ऑनलाइन बेचने के नाम पर लोगों से धोखाधड़ी कर ठगी करते हुए मिले। पुलिस ने मौके से चार युवतियों सहित 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान अमनदीप, रंजीत कुमार, मोहम्मद कासिम, प्रतुष कुमार मिश्रा, सुशील कुमार, बृजेश शर्मा, अनूप कुमार, राशिका राणा, ईशा, सोनाली कनोजिया और मेघा के रूप में हुई। सभी आरोपी बिहार, यूपी और दिल्ली के रहने वाले हैं।
विज्ञापन देकर करते थे ठगी
आरोपियों ने पुलिस पूछताछ में खुलासा किया कि अमनदीप और रणजीत कॉल सेंटर के संचालक हैं। बाकी आरोपियों को नौकरी काम पर रखा हुआ था। फेसबुक पर ये लोग दवाइयों के विज्ञापन डालते थे। संपर्क करने पर उन लोगों से ऑर्डर लेकर पैसे अलग-अलग बैंक खातों में डलवा लेते थे। लोगों के पास नकली सामान भेज देते थे। अलग-अलग चार्ज के नाम पर क्यूआर कोड, यूपीआई आईडी के माध्यम से पैसे डलवाकर धोखाधड़ी से ठगी करते थे।
10 महीने से चल रहा था कॉल सेंटर
पुलिस पूछताछ में सामने आया कि गांव डूंडाहेड़ा में बीते दस महीनों से कॉल सेंटर का संचालन कर रहे थे। ठगी की वारदातों को अंजाम देने के लिए आरोपियों को 18 से 20 हजार रुपये के वेतन पर रखा हुआ था। सभी को रुपये ठगने का लक्ष्य दिया जाता था। लक्ष्य पूरा करने वाले कर्मचारियों को वेतन के साथ बोनस भी मिलता था।