चीन और इंडोनेशिया से मिलते थे टार्गेट, ऐप से लोन देकर अवैध वसूली करने वाले 15 गिरफ्तार
चाइनीज ऐप के जरिये लोन देकर लोगों से रिकवरी के नाम पर अवैध वसूली करने वाले 15 जालसाजों को गुरुग्राम पुलिस ने गिरफ्तार किया है। रिकवरी करने के लिए नोएडा के सेक्टर-दो में फर्जी कॉल सेंटर चलाया जा रहा था, जहां से गुरुग्राम पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार किया।
चाइनीज ऐप के जरिये लोन देकर लोगों से रिकवरी के नाम पर अवैध वसूली करने वाले 15 जालसाजों को गुरुग्राम की साइबर थाना पुलिस ने गिरफ्तार किया है। रिकवरी करने के लिए नोएडा के सेक्टर-दो में फर्जी कॉल सेंटर चलाया जा रहा था, जहां से बुधवार देर रात गुरुग्राम पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार किया। जालसाजों के पास से पुलिस ने पांच लैपटॉप,15 मोबाइल फोन और 223 सिम कार्ड बरामद किए हैं। पुलिस की शुरुआती जांच में सामने आया है कि इन जालसाजों को चीन और इंडोनेशिया से रिकवरी करने के लिए रोजाना नए लोगों की जानकारी मुहैया करवाई जाती थी।
एसीपी साइबर प्रियांशु दीवान ने बताया कि कई दिनों से चीन के ऐप से लोन लेने वालों से रिकवरी के नाम पर अवैध वसूली करने की शिकायतें मिल रही थीं। इस पर पुलिस ने बुधवार को नोएडा के सेक्टर-दो में फर्जी कॉल सेंटर चलाकर वसूली करने वाले 15 जालसाजों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान हरमन, आंजनेय चौधरी, अरुण कुमार, सचिन, बिलाल खान, आसिफ, उज्ज्वल, सलमान अब्बास, सुरेश, हिमांशु, सन्नी श्रीवास्तव, मनमोहन, रिपुञ्जय, अनिल और महेंद्र के रूप में हुई। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ थाना साइबर पूर्व में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। जांच के बाद इसमें शामिल अन्य लोगों को भी पकड़ा जाएगा।
चीन और इंडोनेशिया से मिलते थे निर्देश
एसीपी ने बताया कि शुरुआती पूछताछ में सामने आया कि गिरफ्तार किए गए आरोपी डायलबैक प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक कंपनी के लिए काम करते हैं। यह कंपनी एक गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) वैशाली सिक्योरिटीज कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के साथ मिलकर इंस्टेंट लोन देने और लोन की रिकवरी करने का काम करती है। जरूरतमंद लोगों को अलग-अलग लोन ऐप के माध्यम से पांच हजार से लेकर लगभग 60 हजार तक का लोन दिया जाता है। यह लोन सात से 21 दिन के लिए होता है। डायलबैक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी रजिस्टर्ड तो भारत में है, लेकिन इसको चीन और इंडोनेशिया से चलाया जा रहा है। लोन कैसे देना और कैसे रिकवर करना है, वहीं के लोगों द्वारा निर्देश दिए जाते थे।
फोन कर लोगों को देते थे धमकी
ऐप के नाम पर दिए गए लोन की रिकवरी का पैसा वैशाली सिक्योरिटीज कंपनी प्राइवेट लिमिटेड को भेजा जाता था। जिन व्यक्तियों ने इनसे संबंधित किसी भी ऐप से लोन लिया है और लोन लेने के बाद समय पर नहीं चुकाया तो उसकी रिकवरी के लिए उनका डेटा वैशाली सिक्योरिटीज कंपनी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को उपलब्ध करवाया जाता था। इसके बाद वैशाली सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी चीन और इंडोनेशिया से मिले निर्देश पर डायलबैक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को सूचना भेजती थी। डायलबैक कंपनी के नोएडा स्थित फर्जी कॉल सेंटर से रिकवरी के लिए फोन कर लोगों को डराया-धमकाया जाता था। साथ ही, लोन लेने वालों से अवैध वसूली की जाती थी।