फंड-इंश्योरेंस देने के नाम पर रिटायर्ड कर्मी से 16 लाख ठगे
गाजियाबाद में एक बीएसएनएल के रिटायर्ड फोन टेक्नीशियन से साइबर अपराधियों ने 16 लाख रुपये ठग लिए। जालसाजों ने खुद को पेंशन विभाग का कर्मचारी बताकर और विभिन्न चार्जेस के नाम पर पैसे ट्रांसफर कराए। ठगी का...
गाजियाबाद। साइबर अपराधियों ने इंश्योरेंस और फंड के चार लाख रुपये भेजने के नाम पर बीएसएनएल के रिटायर्ड फोन टेक्नीशियन से 16 लाख रुपये ठग लिए। जालसाजों ने खुद को पेंशन विभाग में कार्यरत बताते हुए पीड़ित को जाल में फंसाया और बैंक चार्ज, इनकम टैक्स तथा डीडी चार्ज आदि के नाम पर रकम ट्रांसफर करा ली। शक होने पर पीड़ित पेंशन विभाग के कार्यालय में गया तो ठगी का पता चला, जिसके बाद साइबर थाने में केस दर्ज कराया। मुरादनगर की गंगा नगर कॉलोनी में रहने वाले वेदपाल का कहना है कि वह बीएसएनएल में फोन मैकेनिक के पद पर कार्यरत थे और 35 वर्ष की नौकरी के बाद 2016 में सेवानिवृत्त हो गए। दिसंबर 2020 में उनके पास मंजीत मेहरा नाम के व्यक्ति का फोन आया। उसने खुद को बीएसएनल के मेरठ स्थित पेंशन विभाग में कार्यरत बताया। उसने कहा कि उनके इंश्योरेंस और फंड आदि के चार लाख रुपये विभाग के पास है, जो उनके खाते में ट्रांसफर नहीं हो पा रहे हैं। इसके बाद मंजीत ने उनकी कॉल मुंबई के प्रेमलाल गुलाटी और प्रेमलाल ने उनकी कॉल अरुण कुमार श्रीवास्तव को ट्रांसफर करके बात कराई। दोनों व्यक्तियों ने प्रोसेसिंग फीस बताते हुए उनसे सबसे पहले 24 हजार 600 रुपये ट्रांसफर करने को कहा। 17 दिसंबर को उन्होंने यह रकम ट्रांसफर कर दी। वेदपाल का कहना है कि आरोपियों ने बैंक चार्ज, इनकम टैक्स, डीडी चार्ज आदि के नाम पर उनसे और उनकी पत्नी से अलग-अलग तारीखों में अलग-अलग बैंक खातों में कुल 15.91 लाख रुपये ट्रांसफर करा लिए। बैंक बंद होने पर आरोपी साइबर कैफे से रकम ट्रांसफर करने को कहते थे।
वेदपाल के मुताबिक करीब दो माह पहले आरोपियों ने उनसे 72 हजार रुपये ट्रांसफर करने को कहा। उन्होंने पैसे न होने की बात कही तो आरोपियों ने उनसे कहा कि वह अब तक ट्रांसफर की गईं सभी रसीदों को जला दें। इस बात पर उन्हें शक हुआ। मेरठ में पेंशन विभाग के कार्यालय में जाने पर पता चला कि विभाग की तरफ से कोई कॉल नहीं की गई। उनके साथ साइबर ठगी हुई है। पीड़ित का कहना है कि आरोपी उनसे दो साल तक पेंशन विभाग का कर्मचारी बनकर उनसे बात करते रहे और रकम ट्रांसफर कराते रहे। ठगी का पता लगने पर उन्होंने साइबर क्राइम थाने में शिकायत दी। एडीसीपी क्राइम सच्चिदानंद का कहना है कि शिकायत के आधार पर केस दर्ज कर लिया गया है। खाता और मोबाइल नंबरों के आधार पर जालसाजों को ट्रेस करने का प्रयास किया जा रहा है।
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