Hindi Newsएनसीआर न्यूज़delhi pollution flying squad teams deployed in stubble burning hotspot of punjab and haryana

ताकि गैस चेंबर में ना तब्दील हो दिल्ली, CPCB ने तैनात की फ्लाइंग स्क्वॉड टीमें

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की समस्या गहराने ना पाए इसके लिए वायु प्रदूषण प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) की ओर से पंजाब और हरियाणा के पराली जलाने वाले हॉटस्पॉट जिलों में फ्लाइंग स्क्वॉड टीमें तैनात की गई हैं।

Krishna Bihari Singh हिन्दुस्तान टीम, नई दिल्लीTue, 1 Oct 2024 09:28 PM
share Share

दिल्ली-एनसीआर अब गैस चैंबर नहीं बनेगा। सीपीसीबी ने दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की रोकथाम के उपायों के तहत फ्लाइंग स्क्वॉड टीमों की तैनाती की है। टीमें पराली जलाने वाले हॉटस्पॉट इलाकों पर निगेहबानी करेंगी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की फ्लाइंग स्क्वॉड टीमें एक अक्तूबर से 30 नवंबर तक पंजाब और हरियाणा के पराली जलाने वाले हॉटस्पॉट जिलों पर नजर रखेंगी।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के प्रदेशों के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इसके तहत पंजाब के 16 जिलों में फ्लाइंग स्क्वॉड तैनात किए गए हैं, जिनमें अमृतसर, लुधियाना, पटियाला, मोगा, फिरोजपुर और जालंधर शामिल हैं।

वहीं, हरियाणा के 10 जिलों में टीमें तैनात की गई हैं, जिनमें अंबाला, हिसार, करनाल, जींद, और सिरसा प्रमुख हैं। टीमें जिला अधिकारियों के साथ मिलकर जमीनी स्तर पर पराली जलाने की स्थिति का आकलन करेंगी और रोजाना सीएक्यूएम और सीपीसीबी को रिपोर्ट करेंगी।

इसके अलावा, सीएक्यूएम जल्द ही मोहाली या चंडीगढ़ में एक पराली प्रबंधन सेल स्थापित करेगा। यह सेल कृषि विभाग और राज्य सरकारों की अन्य संबंधित एजेंसियों के साथ समन्वय करेगा, ताकि पराली जलाने की घटनाओं को रोका जा सके और फ्लाइंग स्क्वॉड की कार्रवाई पर नजर रखी जा सके।

सीपीसीबी की ओर से यह कदम ऐसे वक्त में उठाया गया है जब सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में नाराजगी जताते हुए कहा था कि ऐसा लगता है दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कोई ठोस उपाय करने की बजाय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) मूकदर्शक बना हुआ है।

सर्वोच्च अदालत का कहना था कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने उस तरह से काम नहीं किया जैसा कि उससे अपेक्षा थी। यदि आयोग यह संदेश नहीं देता कि यदि लोग कानून तोड़ेंगे तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, तो उसके सजा देने वाले प्रावधान केवल दिखावा साबित होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से तीन अक्टूबर तक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश भी दिया था।

अगला लेखऐप पर पढ़ें