दिल्ली पुलिस ने किया डिजिटल अरेस्ट गैंग का खुलासा, ठगी की रकम को क्रिप्टो में बदल करते थे खेल
- पुलिस ने बताया कि मामले से पीछा छुड़ाने के लिए पीड़ित ने 16 नवंबर से 18 नवंबर के बीच कई ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के जरिए 4.33 लाख रुपए उनके बताए खातों में ट्रांसफर कर दिए।
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दिल्ली पुलिस ने भोलेभाले लोगों को डिजिटल अरेस्ट करके उनसे पैसे ठगने वाले एक गिरोह का खुलासा किया है और उसके सरगना को तमिलनाडु से गिरफ्तार करने में सफलता पाई है। आरोपी ने पिछले साल IIT दिल्ली के एक छात्र को डिजिटल अरेस्ट करने उससे 4.33 लाख रुपए ठगे थे।
जांच में पता चला कि उन्होंने ठगी की रकम को राजस्थान के एक खाते से निकाला था, इसके बाद पैसों को डॉलर और फिर क्रिप्टोकरंसी में बदलकर उसे ऊंचे दाम पर विदेशी नागरिक को बेच दिया। बदले में उन्हें उनके खातों में पैसा मिल गया।
इस बारे में गुरुवार को जानकारी देते हुए पुलिस उपायुक्त (दक्षिण-पश्चिम) सुरेंद्र चौधरी ने बताया कि आरोपी की पहचान मदनलाल (29) के रूप में हुई है, जिसे चेन्नई से गिरफ्तार किया गया।
इस बारे में एक बयान जारी करते हुए पुलिस ने बताया, 'पिछले साल 16 नवंबर को IIT दिल्ली में इंजीनियरिंग के चौथे वर्ष के छात्र को एक फोन आया, सामने वाले ने बताया कि वह कूरियर कंपनी से बोल रहा है। इसके बाद उसने उसे डराते हुए कहा कि उसके नाम से एक संदिग्ध पार्सल मुंबई से बीजिंग भेजा जा रहा है। जब छात्र ने पार्सल के बारे में किसी भी तरह की जानकारी होने से इनकार किया तो फोन करने वाले ने उसे इसकी सूचना पुलिस को देने के लिए कहा और फिर उसकी मदद का झांसा देते हुए फोन को कथित रूप से मुंबई के गामदेवी पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी को ट्रांसफर कर दिया।'
उन्होंने आगे बताया कि धोखेबाजों ने खुद को पुलिस और ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) का अधिकारी बताते हुए पीड़ित पर दबाव बनाया और उसे आपराधिक गतिविधियों में शामिल बताया। उन्होंने दावा किया कि उसके नाम पर वारंट जारी किया गया है और इसके बाद उसे गिरफ्तार करने की धमकी दी। इसके बाद पीड़ित घबरा गया और उसके इसी डर का फायदा उठाते हुए आरोपियों ने उसे अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए विभिन्न बैंक खातों में पैसा भेजने के लिए कहा।
पुलिस ने बताया इसके बाद मामले से पीछा छुड़ाने के लिए पीड़ित ने 4.33 लाख रुपए 16 नवंबर से 18 नवंबर के बीच कई ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के जरिए उनके बताए खातों में ट्रांसफर कर दिए। डीसीपी के अनुसार, बाद में जब उसे अपने साथ हुई इस धोखाधड़ी का अहसास हुआ तो उसने पुलिस में शिकायत की, जिसके बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज करते हुए मामले की जांच शुरू की।
उन्होंने बताया कि पैसों के लेन-देन का पता लगाने और डिजिटल सबूतों का विश्लेषण करने पर जांचकर्ताओं ने पाया कि पीड़ित से सम्पर्क करने के लिए आरोपियों ने हांगकांग के एक विदेशी नंबर का इस्तेमाल किया था। आगे की जांच में पता चला कि ठगी गई रकम का एक हिस्सा राजस्थान के राय सिंह नगर में रहने वाले तेजपाल शर्मा नाम के शख्स के अकाउंट में भी ट्रांसफर किया गया था।
डीसीपी के अनुसार, इसके बाद शर्मा को गिरफ्तार करके उससे पूछताछ की गई, तो उसने अपना एटीएम कार्ड अपने दोस्त गगनदीप सिंह को देने की बात बताई। बाद में पता चला कि गगनदीप ने शर्मा के बैंक अकाउंट में दर्ज मोबाइल नंबर खुद के नंबर से बदल दिया था। इसके बाद पुलिस ने गगनदीप को पकड़ा, जिसने खुलासा किया कि उसने अपने एक सहयोगी बजरंग को शर्मा का खाता उपलब्ध कराया था। इसके बाद जांच के सिरे चेन्नई के मदनलाल तक पहुंचे, और टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
पूछताछ के दौरान मदनलाल ने ठगी की वारदात को करने की बात मान ली। जांच के दौरान पता चला कि आरोपियों ने ठगी गई रकम को एटीएम के जरिए निकालकर, पहले उसे अमेरिकी डॉलर और फिर क्रिप्टोकरंसी में बदला और फिर उसे ऊंचे दाम पर एक चीनी नागरिक को बेच दिया। बदले में उन्हें उनके खातों में पैसा मिल गया।