रतन टाटा के नाम पर आयोजित न करें कोई पुरस्कार समारोह, दिल्ली हाई कोर्ट का शख्स को आदेश
- कंपनियों ने अपनी प्रतिष्ठा और साख को कथित रूप से नुकसान पहुंचाने के लिए दो करोड़ रुपए से अधिक का हर्जाना भी मांगा है। अदालत ने यह भी कहा कि प्रतिवादी, रतन टाटा व टाटा ट्रस्ट से संबंधित लोगो व चित्रों का उपयोग नहीं कर सकता।
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दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एक पत्रकार को निर्देश दिया कि वह ‘रतन टाटा नेशनल आइकॉन अवॉर्ड’ के नाम पर कोई पुरस्कार समारोह आयोजित न करे और न ही ‘टाटा’ व ‘टाटा ट्रस्ट’ ट्रेडमार्क का इस्तेमाल करे।
जस्टिस मिनी पुष्करणा ने यह आदेश दिल्ली टुडे समूह के संस्थापक रजत श्रीवास्तव द्वारा रतन टाटा के नाम का इस्तेमाल न करने और रतन टाटा के नाम से पुरस्कार समारोह आयोजित न करने पर सहमति जताने के बाद पारित किया।
न्यायालय ने कहा, 'अदालत मानती है कि टाटा एक प्रसिद्ध व्यक्ति थे। उनका नाम ही संरक्षित किए जाने योग्य है।' अदालत ने श्रीवास्तव से एक हलफनामा दायर करने को भी कहा और मामले की सुनवाई 12 फरवरी के लिए निर्धारित की।
अदालत ‘सर रतन टाटा ट्रस्ट’ और ‘टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड’ द्वारा दायर एक मुकदमे की सुनवाई कर रही थी, जिसमें प्रतिवादियों को पंजीकृत ट्रेडमार्क ‘टाटा और टाटा ट्रस्ट्स’ का अनधिकृत रूप से इस्तेमाल करने पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था।
कंपनियों ने अपनी प्रतिष्ठा और साख को कथित रूप से नुकसान पहुंचाने के लिए दो करोड़ रुपए से अधिक का हर्जाना भी मांगा है। साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि प्रतिवादी, रतन टाटा और टाटा ट्रस्ट से संबंधित लोगो और चित्रों का उपयोग नहीं कर सकता।
शिकायतकर्ता ने ‘आनंद एंड आनंद लॉ फर्म’ के माध्यम से मुकदमा दायर किया और उनका प्रतिनिधित्व प्रवीण आनंद और अच्युतन श्रीकुमार ने किया।
बता दें कि पिछले साल नौ अक्टूबर को रतन टाटा का निधन हो गया था।