Delhi Results 2025: दिल्ली की सियासत में बड़ा उलटफेर, पूर्वांचली वोटरों का रुख भाजपा की ओर!
- Delhi Elections Results 2025: बीते दो चुनावों में आम आदमी पार्टी (आप) को पूर्वांचली मतदाताओं का समर्थन मिला था, लेकिन इस बार इन वोटरों में पार्टी के प्रति नाराजगी देखने को मिल रही है।
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Delhi Elections Results 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव में पूर्वांचली वोटरों का झुकाव भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर दिखाई दे रहा है। 14 पूर्वांचल-प्रभावित सीटों में से 10 पर भाजपा के उम्मीदवार बढ़त बनाए हुए हैं। इस चुनाव में भाजपा 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी की ओर बढ़ती नजर आ रही है।
पूर्वांचली वोटरों की बढ़ती नाराजगी
बीते दो चुनावों में आम आदमी पार्टी (आप) को पूर्वांचली मतदाताओं का समर्थन मिला था, लेकिन इस बार इन वोटरों में पार्टी के प्रति नाराजगी देखने को मिल रही है। विभिन्न अनुमानों के अनुसार, दिल्ली की कुल मतदाता संख्या का लगभग दो-तिहाई हिस्सा पूर्वांचली मतदाताओं का है।
कौन कहां से आगे?
पूर्वांचली मतदाता बहुल 14 सीटों में भाजपा के उम्मीदवारों ने बढ़त बनाई है। दोपहर 12 बजे तक की मतगणना में:
द्वारका – भाजपा के प्रद्युम्न सिंह राजपूत 7037 वोटों से आगे
लक्ष्मी नगर – अभय वर्मा 6501वोटों से आगे
करावल नगर – कपिल मिश्रा 42123 वोटों से आगे
मालवीय नगर – सतीश उपाध्याय 6053 वोटों से आगे
पटपड़गंज – रविंदर सिंह नेगी 22243 वोटों से आगे
राजेंद्र नगर – उमंग बजाज 1810 वोटों से आगे
रोहतास नगर – जितेंद्र महाजन 18910 वोटों से आगे
संगम विहार – चंदन कुमार चौधरी 751 वोटों से आगे
शालीमार बाग – रेखा गुप्ता 29352 वोटों से आगे
विकासपुरी – पंकज कुमार सिंह 8049 वोटों से आगे
मॉडल टाउन – अशोक गोयल 3697 वोटों से आगे
आप ने भी कुछ सीटों पर बनाई पकड़
हालांकि, कुछ पारंपरिक रूप से आप की मजबूत सीटों पर पार्टी ने बढ़त बनाए रखी:
बाबरपुर – गोपाल राय 17221 वोटों से आगे
बुराड़ी – संजीव झा 6404 वोटों से आगे
किरारी – अनिल झा 17225 वोटों से आगे
दिल्ली में पूर्वांचली मतदाताओं का बढ़ता प्रभाव
अनाधिकारिक अनुमानों के अनुसार, दिल्ली के 1.55 करोड़ मतदाताओं में एक-तिहाई से अधिक पूर्वांचली हैं। भारत में आधिकारिक प्रवासन डेटा केवल जनगणना के माध्यम से उपलब्ध होता है। 2011 की जनगणना के अनुसार, बिहार और उत्तर प्रदेश (उत्तराखंड और झारखंड समेत) से दिल्ली में प्रवासियों की संख्या 20% से बढ़कर 25% हो गई है।
2016-17 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, उत्तर प्रदेश से दिल्ली और बिहार से दिल्ली देश के दो प्रमुख प्रवासन मार्ग थे। शीर्ष 30 प्रवासन मार्गों में से आठ केवल पूर्वांचली से दिल्ली की ओर थे। इस प्रवृत्ति के आधार पर पूर्वांचली वोट बैंक का प्रभाव भविष्य में और बढ़ सकता है।
दिल्ली में पूर्वांचली विधायकों की बढ़ती संख्या
दिल्ली में 1993 और 1998 में केवल दो पूर्वांचली विधायक थे, लेकिन 2015 और 2020 में यह संख्या बढ़कर नौ और फिर दस हो गई। हालांकि, 2013 के चुनावों में जब आप ने पहली बार चुनाव लड़ा, तब उसके 28 विधायकों में से पांच पूर्वांचली थे।
भाजपा और आप की रणनीति
इस बार भाजपा ने चार पूर्वांचली उम्मीदवार उतारे हैं और अपने सहयोगी दलों को भी सीटें दी हैं। जद (यू) बुराड़ी से और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) देओली से चुनाव लड़ रही है। इसके विपरीत, आप ने 12 पुरवांचली उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि कांग्रेस ने चार को टिकट दिया है। दिल्ली चुनावों में पूर्वांचली वोटर्स की भूमिका निर्णायक होती जा रही है। इस बार के रुझान भाजपा के पक्ष में दिखाई दे रहे हैं, लेकिन अंतिम नतीजे ही तय करेंगे कि पूर्वांचली मतदाता किसे अपना समर्थन देते हैं।