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Delhi Election: क्यों कांग्रेस नहीं आप के सपोर्ट में आए TMC-SP, विश्लेषकों ने बताया कारण

Delhi Election: दिल्ली का इन दिनों सियासी तापमान हाई है। सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी, विपक्षी भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच खूब जुबानी जंग चल रही है। इन सबके बीच इंडिया गठबंधन चर्चा में है क्योंकि अलायंस की कुछ पार्टियां खुलकर आप को सपोर्ट कर रही हैं।

Sneha Baluni नई दिल्ली। हिन्दुस्तान टाइम्सFri, 10 Jan 2025 07:56 AM
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Delhi Election: दिल्ली का इन दिनों सियासी तापमान हाई है। सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी, विपक्षी भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच खूब जुबानी जंग चल रही है। तीनों ही खुद को जनता का हितैषी बता रहे हैं। इन सबके बीच इंडिया गठबंधन चर्चा में है क्योंकि अलायंस की कुछ पार्टियां खुलकर आप को सपोर्ट कर रही हैं। जबकी कांग्रेस इस गठबंधन की अहम पार्टी है। कुछ नेताओं का तो यह भी मानना है कि आप और कांग्रेस को दिल्ली चुनाव साथ मिलकर लड़ना चाहिए था। चलिए आपको बताते हैं कि इसकी वजह क्या है।

भाजपा को हराना लक्ष्य

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल को फोन कर विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के समर्थन की पेशकश की। यह पेशकश न केवल दोनों पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं के बीच कई दौर की चर्चा के बाद आई, बल्कि इंडिया ब्लॉक के अन्य नेताओं के बीच भी इसे लेकर चर्चा हुई। टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन ने बुधवार को केजरीवाल के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए कहा, 'हम विभिन्न स्तरों पर आपस में बात कर रहे हैं। हम एनजीओ नहीं बल्कि राजनीतिक दल हैं और साझा लक्ष्य भाजपा को हराना है।'

जिंजर ग्रुप बनाने की कोशिश

इंडिया ब्लॉक के दो नेताओं (जिनमें से कोई भी कांग्रेस से नहीं है) ने कहा कि दिल्ली चुनाव को लेकर आप, समाजवादी पार्टी और टीएमसी एक-दूसरे के संपर्क में हैं। उनमें से एक ने कहा, 'हमारी अनौपचारिक चर्चाओं के दौरान, हमने एक संयुक्त रणनीति तैयार की। जिसके बाद, सपा ने मंगलवार को और बनर्जी ने बुधवार को केजरीवाल को अपना समर्थन देने की घोषणा की।' इस घटनाक्रम से पता चलता है कि इंडिया ब्लॉक में तृणमूल कांग्रेस, आप, समाजवादी पार्टी और शिवसेना जैसी मजबूत क्षेत्रीय पार्टियां गठबंधन के अंदर एक तथाकथित 'जिंजर ग्रुप' बनाने की ओर बढ़ रहे हैं।

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कांग्रेस के स्ट्राइक रेट में सुधार नहीं

एक अन्य नेता ने बताया कि हरियाणा में कांग्रेस की करारी हार और महाराष्ट्र चुनावों में कांग्रेस के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी की पराजय के बाद इन कोशिशों में तेजी आई है। खासतौर से हरियाणा के नतीजों ने उत्तर भारत में भाजपा का मुकाबला करने में कांग्रेस की अक्षमता को रेखांकित किया। राज्य में उसका सीधा मुकाबला भाजपा से था। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड, गोवा और गुजरात जैसे राज्यों में कांग्रेस अपनी स्ट्राइक रेट में सुधार करने और भाजपा के खिलाफ सीटें जीतने में सक्षम नहीं रही है। कांग्रेस ने मुख्य रूप से उन राज्यों में सीटें हासिल कीं, जहां उसके पास मजबूत सहयोगी हैं।

कांग्रेस को संदेश

इंडिया ब्लॉक के एक नेता ने कहा, 'मजबूत क्षेत्रीय दलों ने फैसला किया है कि उन्हें जिंजर ग्रुप को मजबूत करने और कांग्रेस को एक राजनीतिक संदेश देने के लिए एक-दूसरे का सपोर्ट करना चाहिए। दिल्ली का एक्सपेरिमेंट अपनी तरह की पहली स्थिति है।' विश्लेषकों का कहना है कि टीएमसी और सपा जैसी पार्टियों के लिए, जो दिल्ली में मजबूत दावेदार नहीं हैं, समर्थन देना आसान है। वहीं कांग्रेस और आप जैसी प्रतिद्वंद्वियों के लिए समझौता करना कठिन है।

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