केजरीवाल के 'रामायण ज्ञान' को BJP ने बनाया बड़ा मुद्दा, सनातन का अपमान बता उपवास पर सचदेवा
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चुनावी सभा में रामायण कथा का जिक्र क्या किया, भारतीय जनता पार्टी को उन्हें घेरने का एक और मौका मिल गया है। भाजपा केजरीवाल के बयान को बड़ा मुद्दा बनाने में जुट गई है।
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दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चुनावी सभा में रामायण कथा का जिक्र क्या किया, भारतीय जनता पार्टी को उन्हें घेरने का एक और मौका मिल गया है। कथा सुनाते हुए अरविंद केजरीवाल ने जो गलतियां कीं, उसे भाजपा सनातन धर्म का अपमान बताकर बड़ा मुद्दा बनाने में जुट गई है। भाजपा के दिल्ली अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने मंदिर जाकर भगवान से क्षमा याचना की तो उपवास भी रखा है।
सचदेवा ने मंगलवार सुबह कनॉट प्लेस स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर में जाकर पूजा अर्चना की। उन्होंने यहां मीडिया से बातचीत में बताया कि वह आज उपवास रख रहे हैं। सचदेवा ने अरविंद केजरीवाल के बयान को सनातन का अपमान बताते हुए कहा कि उन्होंने भगवा से क्षमा याचना की है। उन्होंने कहा, 'श्री रामचरित मानस की जिस तरह गलत वाख्या की गई है, जिस तरह से हमारे सनातन और हिंदू धर्म को अपमान करने की कोशिश अरविंद केजरीवाल द्वारा की गई है, यह पहली बार नहीं है। ये अधर्मी लोग हैं।'
सचदेवा ने एएनआई से बातचीत में कहा, 'इनकी नानी इनको क्या सुनाती थी हमें नहीं पता, लेकिन ये कहते थे कि राम मंदिर नहीं बनना चाहिए। आज चुनाव सिर पर है तो उन्हें इन्हें राम मंदिर क्या सारे मंदिर याद आते हैं। जिस तरह इन्होंने कहा कि रावण सोने का हिरण बनके आया था, ये शीशमहल के उस गोल्ड प्लेटेट सोने से बाहर नहीं निकले हैं। इनको गोल्ड इतना प्यारा है कि हर जगह सोना ही दिखता है। हमने यहां आकर भगवान राम से भगवान हनुमान से क्षमा याचना कि है कि हमारे सनातन धर्म की उन्होंने गलत व्याख्या की है। उसके लिए कम से कम हम तो आज उपवास करेंगे।'
भाजपा नेता प्रदीप भंडारी ने कहा, 'अरविंद केजरीवाल चुनावी हिंदू हैं। उनकी और उनके गुरु राहुल गांधी जी की रगों में तुष्टिकरण है। जिसे रामायण का अल्प ज्ञान हो, जो रटने के बाद भी रामायण को जनता के सामने ठीक से नहीं रख सका, जिसका इतिहास ये है कि जिसकी दादी या नानी कहती थी कि अयोध्या में भगवान श्री राम का मंदिर नहीं बनना चाहिए। वो दिल्ली की हर जमीन वक्फ को देने की बात करते थे। आज अरविंद केजरीवाल का वो चुनावी हिंदू चेहरा दिल्ली और देश की जनता के सामने आ गया है... जिसे रामायण नहीं पता, जिसे अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर से चिढ़ है, जो दिल्ली की हर जमीन वक्फ को देना चाहता है, जिसे 10 साल तक पुजारी याद नहीं रहता, जो सिर्फ उसका तुष्टिकरण करता है और जो रोहिंग्या का समर्थन करता है, वैसा नेता सनातन के खिलाफ है, हिंदू और देश की एकता के खिलाफ है।'