LG साहब कमियां बताएं, हम दूर करेंगे; दिल्ली में चुनाव से पहले क्या है केजरीवाल की 'कबीर चाल'
- राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस बयान से केजरीवाल एक नैरेटिव बदलने की कोशिश करते दिख रहे हैं। दरअसल, केजरीवाल के आलोचक इस बात को बार-बार उठाते हैं कि उनका केंद्र के साथ अच्छा संबंध नहीं है।
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और एलजी वीके सक्सेना के बीच का मनमुटाव जगजाहिर है। दोनों एक-दूसरे पर अक्सर 'शब्द बाण' चलाते नजर आए हैं। लेकिन रविवार को 'आप' कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में एलजी को लेकर केजरीवाल के तेवर बदले-बदले से नजर आए। पूर्व सीएम ने कहा कि एलजी साहब कमियां बताएं, हम उनको दूर करेंगे। राजनीतिक विशेषज्ञ दिल्ली चुनाव से पहले केजरीवाल के इस बयान के कई मायने निकाल रहे हैं। केजरीवाल के बयान के बाद कबीर दास जी के एक दोहे की भी चर्चा की जा रही है।
दिल्ली में चुनाव से पहले 'केजरीवाल का कबीर पंथ'
अरविंद केजरीवाल ने कहा, 'मैं एलजी साहब को तहेदिल से शुक्रिया कहना चाहता हूं। उन्होंने जो-जो कमियां निकाली हैं, उन सभी कमियों को हम दूर करेंगे। मुझे याद है... वह नागलोई मुंडका रोड पर गए थे। उन्होंने कहा था कि वहां सड़क पर गड्ढे हैं। वह सड़क बननी चालू हो गई है। कुछ दिनों बाद सीएम आतिशी वहां जाकर उद्घाटन भी करेंगी। मेरी एलजी साहब से निवेदन है कि हमारी कमियां बताएं, हम उन्हें दूर करेंगे।' केजरीवाल के इस बयान के बाद कबीर दास का दोहा 'निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय' की चर्चा की जा रही है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि केजरीवाल इससे यह संदेश दे रहे हैं कि उन्हें केवल और केवल दिल्ली की जनता की परवाह है।
क्यों बदला-बदला सा दिखा केजरीवाल का तेवर
दरअसल, केजरीवाल सरकार और केंद्र के बीच अक्सर टकराव देखने को मिलती है। एलजी को लेकर केजरीवाल और 'आप' के दूसरे नेता हमलावर दिखते हैं। कुछ महीनों बाद दिल्ली में चुनाव होने हैं। ऐसे में एलजी वीके सक्सेना को लेकर केजरीवाल के दिए बयान पर राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि पूर्व सीएम यह संदेश देना चाह रहे हैं कि उनका फोकस केवल दिल्ली की विकास कार्यों पर है। यह भी माना जा रहा है कि केजरीवाल इस बयान से यह बताना चाहता हैं कि अगली बार अगर उनकी सरकार बनती हैं तो एलजी से कोई टकराव देखने को नहीं मिलेगा और सिर्फ और सिर्फ दिल्ली के लोगों के लिए काम किया जाएगा।
एक और नैरेटिव बदलने की कोशिश
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस बयान से केजरीवाल एक नैरेटिव बदलने की कोशिश करते दिख रहे हैं। दरअसल, केजरीवाल के आलोचक इस बात को बार-बार उठाते हैं कि उनका केंद्र के साथ अच्छे संबंध नहीं है, जिससे दिल्ली के विकास पर असर पड़ता है। वहीं शीला दीक्षित के कार्यकाल से केजरीवाल सरकार की तुलना भी की जाती है। आलोचकों का कहना है कि शीला दीक्षित जब मुख्यमंत्री थीं तब केंद्र से दिल्ली सरकार के अच्छा संबंध थे। इस वजह से दिल्ली का विकास भी तेजी से हुआ। ऐसे में केजरीवाल इस बयान से यह नैरेटिव बनाने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं कि वह भी केंद्र के साथ रिश्ता अच्छा बनाकर विकास कार्यों पर जोर देना चाहते हैं।