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संजय रॉय को फांसी क्यों नहीं मिली, CBI की मांग पर क्या बोले जज अनिर्बान दास

  • जज अनिर्बान दास ने उम्रकैद दिए जाने को लेकर कहा कि यह मामला रेयरेस्ट ऑफ दे रेयर मामला नहीं है। सीबीआई ने इस केस में दलीलें देते हुए कहा था कि यह दुर्लभतम मामला है। इसलिए इस मामले में फांसी की सजा से कुछ भी कम नहीं दिया जा सकता। लेकिन अदालत संजय रॉय को उम्रकैद की सजा ही दी।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तानMon, 20 Jan 2025 03:07 PM
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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर के रेप और मर्डर के मामले में सत्र न्यायालय ने फैसला सुनाया है। अदालत ने संजय रॉय को उम्रकैद की सजा सुनाई है, जबकि इस चर्चित कांड को लेकर डॉक्टर के परिजनों की मांग थी कि दोषी को फांसी की सजा दी जाए। इसके अलावा केस की जांच करने वाली एजेंसी सीबीआई ने भी संजय रॉय को फांसी देने की मांग की थी। हालांकि सीबीआई के वकील की दलील से जज अनिर्बान दास सहमत नहीं दिखे। उन्होंने अपने फैसले में संजय रॉय को उम्रकैद की सजा ही देने का फैसला सुनाया है। जज अनिर्बान दास ने अपने फैसले में कहा कि संजय रॉय मरते दम तक जेल में ही रहेगा।

जज अनिर्बान दास ने उम्रकैद दिए जाने को लेकर कहा कि यह मामला रेयरेस्ट ऑफ दे रेयर मामला नहीं है। सीबीआई ने इस केस में दलीलें देते हुए कहा था कि यह दुर्लभतम मामला है। इसलिए इस मामले में फांसी की सजा से कुछ भी कम नहीं दिया जा सकता। लेकिन अदालत संजय रॉय को उम्रकैद की सजा ही दी। जज ने कहा कि यह मामला दुर्लभतम की श्रेणी में नहीं है, इसलिए उम्रकैद की सजा ही वाजिब होगी। वहीं संजय रॉय का बचाव करने वाले वकील ने कहा कि ऐसे कई मामले हैं, जिनमें फांसी की सजा नहीं दी गई। इसके अलावा उनका कहना था कि ऐसे अपराध के कई केस हैं। यह कोई रेयरेस्ट ऑफ द रेयर का मामला नहीं है।

अदालत ने राज्य सरकार को पीड़िता चिकित्सक के परिवार को क्षतिपूर्ति के रूप में 17 लाख दिए जाने का आदेश भी दिया। पीड़िता ट्रेनी डॉक्टर थी और द्वितीय वर्ष की छात्रा थी। वह अस्पताल में प्रशिक्षु रेजिडेंट डॉक्टर के रूप में कार्यरत थी। पिछले साल नौ अगस्त को रात्रि ड्यूटी में नागरिकों की सहायता के नाम पर स्वयंसेवी के रूप में कार्यरत संजय रॉय ने एक कक्ष में अकेले पाकर पीड़िता चिकित्सक के साथ दुष्कर्म किया और जघन्य तरीके से उसकी हत्या कर दी थी। इसके विरोध में कोलकाता समेत देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए थे। उच्चतम न्यायालय ने इस मामले की जांच कोलकाता पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंप दी थी।

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संजय रॉय बोला- मुझे फंसाया जा रहा, जबरन करवाए साइन

वहीं अदालत के सामने संजय रॉय ने खुद को निर्दोष बताया। उन्होंने कहा कि मुझे फंसाया जा रहा है और मैंने कोई अपराध नहीं किया है। मैंने कुछ भी नहीं किया है फिर भी मुझे दोषी ठहराया गया है। उन्होंने कहा, ‘जेल में मुझे पीटा गया और मुझसे जबरन कागजात पर हस्ताक्षर करवाए गए।’ सीबीआई के वकील ने अदालत से कहा, ‘‘हम समाज में लोगों का विश्वास बनाए रखने के लिए कड़ी से कड़ी सजा का अनुरोध करते हैं।’ रॉय के बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष ऐसे साक्ष्य प्रस्तुत करे, जिससे यह साबित हो सके कि दोषी के सुधरने की कोई संभावना नहीं है। बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने उसे सुधरने का मौका देने के लिए ‘मृत्युदंड के अलावा किसी अन्य वैकल्पिक सजा’ का अनुरोध किया।

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