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हरियाणा के झटके या चुनाव आयुक्त के तंज का असर, क्यों इस बार कम हो गए एग्जिट पोल

  • ज्यादातर बड़े टीवी चैनलों ने भी किसी एग्जिट पोल से अपना वास्ता नहीं जोड़ा। सभी ने स्वतंत्र एजेंसियों का एग्जिट पोल ही दिखाया और इस डिस्क्लेमर के साथ कि हमने यह सर्वे नहीं किया है। यही नहीं कई नामी सर्वे एजेंसियां तो इस बार एग्जिट पोल से ही दूर रहीं।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 21 Nov 2024 09:27 AM
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किसी भी राज्य के विधानसभा चुनाव या फिर लोकसभा इलेक्शन के नतीजों से पहले एग्जिट पोल्स आते रहे हैं और अकसर उनकी चर्चा भी खूब जोर-शोर से होती रही है। लेकिन इस बार माहौल अलग ही था। महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव नतीजों से पहले बुधवार को आए एग्जिट पोल्स की संख्या कम ही रही। इसके अलावा ज्यादातर बड़े टीवी चैनलों ने भी किसी एग्जिट पोल से अपना वास्ता नहीं जोड़ा। सभी ने स्वतंत्र एजेंसियों का एग्जिट पोल ही दिखाया और इस डिस्क्लेमर के साथ कि हमने यह सर्वे नहीं किया है। यही नहीं कई नामी सर्वे एजेंसियां तो इस बार एग्जिट पोल से ही दूर रहीं।

इसके कई कारण भी माने जा रहे हैं। पहला यह कि लोकसभा चुनाव में ज्यादातर एग्जिट पोल्स गलत साबित हुए थे और फिर हरियाणा में तो किसी भी सर्वे ने भाजपा को जीत नहीं दिलाई थी और उसे जोरदार विजय हासिल हुई। माना जा रहा है कि लगातार गलत साबित होने के बाद कई सर्वे एजेंसियों ने एग्जिट पोल्स से ही दूरी बना ली है। इसके अलावा चैनलों ने भी एग्जिट पोल्स में ज्यादा रुचि नहीं दिखाई। ज्यादातर चैनलों ने स्वतंत्र एजेंसियों के सर्वे को ही दिखाया और उनका ही औसत निकालते दिखे। वहीं नामी एजेंसियां दूर रहीं तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर ही कुछ ने सर्वे जारी कर दिए।

आमतौर पर एग्जिट पोल्स को नतीजों से पहले जनता के मूड के तौर पर देखा जाता रहा है। लेकिन जिस तरह लगातार एग्जिट पोल्स गलत साबित हुए हैं, उससे विश्वसनीयता पर ही संकट की स्थिति है। यही नहीं पिछले दिनों एग्जिट पोल्स पर चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने भी टिप्पणी की थी। उन्होंने इलेक्शन रिजल्ट वाले दिन तेजी से आने वाले रुझानों को लेकर भी टिप्पणी की थी। उनका कहना था कि आखिर जब गिनती ही 8 बजे शुरू होती है और हम आधे घंटे बाद ही कोई अपडेट देते हैं तो फिर 8 बजते ही कैसे रुझान टीवी चैनलों पर आने लगते हैं। इसके अलावा एग्जिट पोल्स को लेकर भी चुनाव आयोग ने सवाल उठाए थे। कई राजनीतिक दल भी इस पर सवाल उठाते रहे हैं।

एग्जिट पोल करने वाली एजेंसियों को इतिहास में भी खट्टे-मीठे अनुभवों का सामना करना पड़ा है। 1998 और 2014 के आम चुनावों में एग्जिट पोल्स लगभग सही साबित हुए थे, लेकिन 2004 में सभी का अनुमान गलत निकला था। वहीं 2024 के आम चुनाव में भी भाजपा और उसके एनडीए गठबंधन को बड़े बहुमत का अनुमान लगाया गया था, लेकिन नतीजा आया तो भाजपा 240 सीटों पर ही ठिठक गई। लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा में भी एग्जिट पोल्स के एकदम गलत साबित होने के चलते काफी आलोचना हुई है। कई एग्जिट पोल्स करने वालों को तो सोशल मीडिया पर भी ट्रोल होना पड़ा।

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