Hindi Newsदेश न्यूज़Who was Aruna Shanbaug, whom the CJI mentioned in the Kolkata rape case

कौन थीं अरुणा शानबाग, जिनका जिक्र CJI ने कोलकाता रेप केस में किया; मांगने पर भी नहीं मिली थी इच्छा मृत्यु

  • Who was Aruna Shanbaug : कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर केस की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अरुणा शानबाग का जिक्र किया। अरुणा शानबाग अस्तपताल में एक नर्स के रूप में काम करती थीं, 1973 में उनके साथ हुई बलात्कार की घटना ने उनके जीवन को किसी यातना में बदल दिया था।

Upendra Thapak लाइव हिन्दुस्तानTue, 20 Aug 2024 07:39 PM
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कोलकाता डॉक्टर के साथ हुई वीभत्स घटना को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड ने वर्षों से महिला डॉक्टरों पर होते हमलों पर बात करते हुए, अरुणा शानबाग केस का जिक्र किया। सीजेआई ने कहा कि जैसे-जैसे महिलाएं ज्यादा संख्या में कार्यबल का हिस्सा बनती है तो उनके खिलाफ यौन हिंसा का खतरा भी बढ़ता जाता है। अरुणा शानबाग के साथ हुई हिंसा, अस्पताल के भीतर मेडीकल से जुड़े लोगों के साथ हुए सबसे भयानक हमलों में से एक थी। हमारा देश अब जमीनी स्तर पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक और रेप केस का इंतजार नहीं कर सकता। हमने मामले की गंभीरता को समझा और इस पर स्वतः संज्ञान लिया।

क्या था अरुणा शानबाग का पूरा मामला, क्यों मांगनी पड़ी इच्छामृत्यु

अरुणा शानबाग कर्नाटक के हल्दीपुर से मुंबई में मेडीकल की पढ़ाई करने के लिए आईं थी। मुंबई में ही केईएम अस्पताल में वह एक नर्स के रूप में काम करने लगी। उसी अस्पताल में काम करने वाले एक डॉक्टर के साथ उनकी शादी भी तय हो गई थी लेकिन 27 नवंबर 1973 की रात ने अरुणा के जीवन को पूरी तरह से बदल कर रख दिया। पुलिस के मुताबिक उसी अस्पताल में काम करने वाले एक वार्ड अटेंडेंट ने काम कर रही अरुणा पर हमला कर दिया। उसने अरुणा के साथ रेप किया फिर जब लगा कि सबको बता देगी तो फिर कुत्ते की चैन से गला घोंटने की कोशिश की। इस हमले में अरुणा की जान तो बच गई लेकिन उनके दिमाग के शैल्स में गहरी चोट लगी जिसकी वजह से वह कोमा में चली गईं। इस घटना के बाद अरुणा 2015 में अपनी मौत तक कोमा में ही रहीं। अरुणा के आरोपी को केवल 7 साल की सजा हुई और वह 1980 में जेल से छूट गया।

अरुणा शानबाग का मामला 2011 में उस वक्त चर्चा में आया था जब एक पत्रकार ने 2011 में सुप्रीमकोर्ट में अरुणा के लिए इच्छा मृत्यु की इजाजत मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट में अरुणा का पक्ष रखते हुए पत्रकार विरानी ने कहा था कि अरुणा किसी भी तरीके से जीवन का अनुभव करने में असमर्थ हैं, इसलिए उन्हें सम्मान के साथ मरने की अनुमति दी जानी चाहिए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इच्छा मृत्यु की इजाजत देने से इंकार कर दिया था। 2011 में इच्छामृत्यु न मिलने के बाद 2015 में अरुणा शानबाग की निमोनिया की वजह इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

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