Hindi Newsदेश न्यूज़Who is former IAS and BJP MP Aparajita Sarangi, who handed over 1984 bag to Priyanka Gandhi what is Bihar connection

कौन हैं पूर्व IAS अपराजिता सारंगी, जिन्होंने प्रियंका गांधी को थमाया 1984 वाला बैग; बिहार से क्या नाता

अपराजिता सारंगी 1998 से 2006 तक ओडिशा के नुआपाड़ा, कोरापुट, बरगढ़ समेत कई जिलों की कलेक्टर रहीं। बाद में 2006 में वह भुवनेश्वर नगर निगम की कमिश्नर बनीं। इस दरम्यान उन्होंने भुवनेश्वर शहर में कई आमूल-चूल बदलाव लाए।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 20 Dec 2024 02:51 PM
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Who is Aparajita Sarangi: संविधान निर्माता बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर और संविधान के कथित अपमान पर जारी सियासत और सियासी लड़ाई में ओडिशा से भाजपा की सांसद अपराजिता सारंगी तब सुर्खियों में आ गईं, जब उन्होंने शुक्रवार (20 दिसंबर) को संसद के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन कांग्रेस महासचिव और वायनाड से नवनिर्वाचित सांसद प्रियंका गांधी के हाथों में 1984 के सिख दंगों को जताने वाला और खून से '1984' लिखा एक बैग उनके हाथों में थमा दिया। भाजपा सांसद ने ये बैग प्रियंका गांधी को थमाकर कांग्रेस नेता को यह याद दिलाने की कोशिश की कि उनके पिता के शासन काल में किस तरह सिख विरोधी दंगे हुए थे और तब संविधान को कैसे कुचला गया था।

कौन हैं अपराजिता सारंगी

अपराजिता सारंगी पूर्व IAS अधिकारी हैं और ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से भारतीय जनता पार्टी की लोकसभा सांसद हैं। वह दूसरी बार जीतकर संसद पहुंची हैं। पहली बार उन्होंने 2019 में इस सीट से जीत हासिल की थी। इससे पहले वह केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय में संयुक्त सचिव रैंक की अधिकारी थीं। 2018 में उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था और भाजपा में शामिल हो गई थीं।

अपराजिता मूल रूप से बिहार के मुजफ्फरपुर की रहने वाली हैं। उनका जन्म 8 अक्तूबर, 1969 को मुजफ्फरपुर में अजीत मिश्रा और कुसुम मिश्रा के घर हुआ था। उनके पिता अजीत मिश्रा भागलपुर यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी के प्रोफेसर थे। इसलिए अपराजिता की शुरुआती पढ़ाई भागलपुर में ही हुई। उन्होंने भागलपुर के माउंट कार्मेल कॉन्वेंट से स्कूली शिक्षा हासिल की फिर भागलपुर यूनिवर्सिटी से अंग्रेसी में बीए किया। 1994 में उन्होंने पहले ही प्रयास में संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास कर ली और IAS के लिए चुनी गईं। उन्हें ओडिशा कैडर अलॉट किया गया। वहीं उन्होंने उसी कैडर और उसी बैच के साथी संतोष सारंगी के साथ विवाह कर लिया।

अपराजिता सारंगी 1998 से 2006 तक ओडिशा के नुआपाड़ा, कोरापुट, बरगढ़ समेत कई जिलों की कलेक्टर रहीं। बाद में 2006 में वह भुवनेश्वर नगर निगम की कमिश्नर बनीं। इस दरम्यान उन्होंने भुवनेश्वर शहर में कई आमूल-चूल बदलाव लाए। उन्होंने शहर का कायापलट कर दिया। इससे वह लोकप्रिय हो गईं। उन्होंने शहर की कई दीवारों पर पेंटिंग करवाकर शहर को सुसज्जित करवाया। 2009 में सारंगी को स्कूली शिक्षा, पंचायती राज और कपड़ा विभाग में सचिव बनाया गया। इसके बाद 2013 में वह केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर आ गईं। उन्हें ग्रामीण विकास मंत्रालय में संयुक्त सचिव बनाया गया और मनरेगा की जिम्मेदारी दी गई।

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उन्होंने पांच साल तक इस पद पर काम किया। इस दौरान मनरेगा को जमीनी स्तर पर कार्यान्वित करने के लिए उन्होंने 25 राज्यों के कुल 450 से ज्यादा जिलों का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने मंत्रालय, सरकार और अन्य प्लेटफॉर्म पर खूब नाम कमाया। बाद में 2018 में उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृति ले ली और पीएम मोदी की कार्यशैली से प्रभावित होकर भाजपा का दामन थाम लिया। पार्टी ने उनकी लोकप्रियता को देखते हुए 2019 में भुवनेश्वर संसदीय सीट से उम्मीदवार बनाकर उतार दिया, जहां उन्होंने जीत दर्ज की और पहली बार संसद पहुंचने में कामयाब रहीं।

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