Hindi Newsदेश न्यूज़Which case should SC hear This will be decided by CJI not politicians DY Chandrachud reply to Sanjay Raut

SC को कौन सा केस सुनना चाहिए, यह नेता नहीं, CJI तय करेंगे; डीवाई चंद्रचूड़ का संजय राउत को जवाब

  • चंद्रचूड़ ने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले आर्टिकल 370, अयोध्या और सबरीमाला जैसे मामलों में बिना किसी बाहरी दबाव के दिए गए थे।

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तानWed, 27 Nov 2024 06:40 AM
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महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में महा विकास अघाड़ी (MVA) की हार के बाद शिवसेना (UBT) के नेता संजय राउत द्वारा लगाए गए आरोपों का पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने मंगलवार को पुरजोर तरीके से खंडन किया। राउत ने आरोप लगाए थे कि चंद्रचूड़ ने विधायकों की अयोग्यता के मामलों पर सही तरीके से निर्णय नहीं लिया, जिसके कारण MVA सरकार गिर गई और उनकी पार्टी को चुनावी हार का सामना करना पड़ा।

न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में पूर्व मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, "हमारे कार्यकाल के दौरान सुप्रीम कोर्ट में कई महत्वपूर्ण संविधानिक मामले चल रहे थे। हमने नौ जजों की बेंच, सात जजों की बेंच और पांच जजों की बेंच के फैसले दिए। क्या कोई एक पार्टी या व्यक्ति यह तय कर सकता है कि सुप्रीम कोर्ट को कौन सा मामला सुनना चाहिए? यह फैसला केवल मुख्य न्यायाधीश का होता है।"

संजय राउत ने आरोप लगाए थे कि शिंदे गुट के विधायकों के अयोग्यता के मामलों पर निर्णय में देरी करके चंद्रचूड़ ने राजनेताओं से कानून का डर हटा दिया, जिससे MVA सरकार का पतन हुआ। उन्होंने यह भी कहा था कि कोर्ट द्वारा फैसलों में देरी के कारण राजनीतिक परिणामों पर असर पड़ा और इतिहास उन्हें माफ नहीं करेगा।

चंद्रचूड़ ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पास सीमित संसाधन और जज हैं और इसलिए उन्हें संविधानिक मामलों के समाधान में संतुलन बनाए रखना पड़ता है। उन्होंने कहा, "कई महत्वपूर्ण मामलों का सुप्रीम कोर्ट में 20 सालों से इंतजार हो रहा है। क्या हमें उन पुराने मामलों को न सुनकर हालिया मामलों पर ध्यान देना चाहिए? सुप्रीम कोर्ट की प्राथमिकताएं संविधानिक मुद्दों पर होती हैं जो समाज के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।"

संजय राउत के आरोप के बारे में बोलते हुए डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह उम्मीद करना कि कोर्ट राजनीतिक एजेंडों के अनुरूप चले यह गलत है। उन्होंने कहा, "हमने चुनावी बांड्स पर निर्णय लिया। क्या वह कम महत्वपूर्ण था?" चंद्रचूड़ ने अन्य महत्वपूर्ण मामलों का हवाला दिया, जिनमें विकलांगता अधिकार, नागरिकता संशोधन अधिनियम की धारा 6A की संवैधानिक वैधता, और संघीय संरचना तथा जीवन यापन से जुड़ी महत्वपूर्ण निर्णय शामिल थे।

राजनीतिक दखल के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए चंद्रचूड़ ने कहा, "लोगों को यह अनुमान नहीं लगाना चाहिए कि न्यायपालिका संसद या राज्य विधानसभाओं में विपक्ष की भूमिका निभाएगी। हमारा काम कानूनों की समीक्षा करना है।" उन्होंने न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर जोर देते हुए नेताओं से मिलने को केवल सामाजिक शिष्टाचार बताया, जो न्यायिक स्वतंत्रता से समझौता नहीं करता।

पूर्व CJI ने यह भी कहा कि न्यायपालिका को बाहरी दबावों से बचाने के लिए उसे मजबूत बनाए रखना आवश्यक है। उन्होंने कहा, "कुछ अत्यधिक संसाधन वाले लोग कोर्ट में आकर यह दबाव बनाने की कोशिश करते हैं कि उनका मामला पहले सुना जाए। हमें इस तरह के दबावों से बचना होगा।"

चंद्रचूड़ ने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले आर्टिकल 370, अयोध्या और सबरीमाला जैसे मामलों में बिना किसी बाहरी दबाव के दिए गए थे। उन्होंने कहा, "अगर कोई दबाव होता तो सुप्रीम कोर्ट उन मामलों पर निर्णय लेने में इतना समय क्यों लेता?"

हालांकि डावीई चंद्रचूड़ ने न्यायपालिका में सुधार की आवश्यकता को भी स्वीकार किया। उन्होंने जिला अदालतों में रिक्तियों को भरने और बुनियादी ढांचे में सुधार की वकालत की। उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट का लक्ष्य वंचित वर्गों से जुड़े मामलों को प्राथमिकता देना है, जैसे उनके कार्यकाल में 21,000 से अधिक जमानत आवेदन हल किए गए।

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