Hindi Newsदेश न्यूज़When Manmohan Singh said I am Prime Minister and can not see any Indian hungry

प्रधानमंत्री हूं और किसी भारतीय को भूखा नहीं देख सकता; किस मामले पर बोले थे मनमोहन सिंह

  • मनमोहन सिंह से 2006 में अपनी पहली सीधी मुलाकात का जिक्र करते हुए कुमार ने कहा कि भारत में उस समय गेहूं की किल्लत थी। इसके आयात का फैसला किया गया जिस पर कुछ लोगों ने आलोचना की थी।

Niteesh Kumar भाषाFri, 27 Dec 2024 08:00 PM
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पूरा देश अपने पूर्व प्रधानमंत्री और सबसे सम्मानित राजनेताओं में एक मनमोहन सिंह को याद कर रहा है। ऐसे में प्रधानमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल में खाद्य और कृषि सचिव रहे टी नंद कुमार ने भी शुक्रवार को कुछ यादें साझा कीं। नंद कुमार ने भारत के कुछ सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण समय में पूर्व पीएम के साथ कार्य करने के अपने दिनों को याद किया। पूर्व प्रधानमंत्री सिंह का गुरुवार रात को दिल्ली में निधन हो गया था। वह 92 साल के थे।

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मनमोहन सिंह से 2006 में अपनी पहली सीधी मुलाकात का जिक्र करते हुए कुमार ने कहा कि भारत में उस समय गेहूं की किल्लत थी। इसके आयात का फैसला किया गया जिस पर कुछ लोगों ने आलोचना की। कुमार ने कहा कि वह इस मुद्दे पर बात करने के लिए प्रधानमंत्री के पास गए। उन्होंने पीटीआई से कहा, ‘उन्होंने मेरी बात ध्यान से सुनी और एक प्रोफेसर की तरह समझाया। उन्होंने मुझे बताया कि प्रधानमंत्री होने के नाते मैं किसी भारतीय को भूखा नहीं रहने दे सकता। इससे उनके फैसलों का पता चलता है।’ नंद कुमार ने बताया कि 2007 में जब मैंने खाद्यान्न की कमी के बारे में चिंता जताई तो उन्होंने समाधान निकालने के लिए प्रोत्साहित किया।

'बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव'

पूर्व कृषि सचिव ने कहा कि इसका परिणाम कई प्रमुख पहल की शुरुआत थी, जैसे कि कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, चावल और गेहूं की पैदावार बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन व आपात स्थितियों के लिए बफर स्टॉक मानदंडों में 50 लाख टन की वृद्धि। उन्होंने सिंह के कथन को याद करते हुए कहा कि 2008 के वैश्विक खाद्य संकट के दौरान उन्हें घरेलू आपूर्ति को सुरक्षित करने के लिए गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव करना पड़ा था।

कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री सिंह ने प्रतिरोध के बावजूद इस कदम का दृढ़ता से समर्थन किया। उन्होंने बताया, 'मनमोहन सिंह ने कहा कि मुझे दूसरे देशों को खाद्यान्न भेजने से पहले अपने देशवासियों की जरूरतों का ध्यान रखना होगा। यह निर्णय 2009 के सूखे के दौरान महत्वपूर्ण साबित हुआ, जिससे आयात का सहारा लिए बिना खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हुई।'

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